पुणे जिले के जुन्नर क्षेत्र में आने वाला नारायणगांव महाराष्ट्र में टमाटर का बड़ा उत्पादक है. यहां पर आवक बढ़ने के साथ ही यहां पर टमाटर का औसत दाम सिर्फ 400 रुपये प्रति क्विंटल रह गया है. न्यूनतम दाम सिर्फ 250 और अधिकतम 575 रुपये क्विंटल रह गया है. यानी यहां से सबसे अच्छी क्वलिटी का टमाटर किसान 5.75 रुपये किलो के रेट पर बेच रहे हैं और वहां से दिल्ली पहुंचते-पहुंचते इसका भाव वहां के उपभोक्ताओं के लिए 40 रुपये किलो हो जा रहा है. उपभोक्ताओं को महंगे दाम पर टमाटर मिल रहा है और किसानों को अच्छा भाव नहीं मिल रहा. फायदा कमा रहे हैं बिचौलिए. जिनका काम मात्र किसान के खेत से टमाटर को मंडी तक पहुंचाना है. कम दाम से परेशान किसानों को राहत देने की सरकार ने कोई घोषणा नहीं की है.
बताया गया है कि इस समय टमाटर उत्पादक सभी राज्यों से आवक शुरू हो गई है. इसलिए दाम अचानक गिर गया है. महाराष्ट्र देश का करीब छह प्रतिशत टमाटर का उत्पादन होता है. जुलाई में सरकार ने कहा था कि नासिक जिले से जल्द ही नई फसल की आवक होने की उम्मीद है. अगस्त में नारायणगांव और औरंगाबाद बेल्ट से अतिरिक्त आपूर्ति आने की उम्मीद है. मध्य-प्रदेश से भी आवक शुरू होने की उम्मीद है. इसलिए भविष्य में टमाटर की कीमतें कम हो जाएंगी. यही सच भी हुआ. इन क्षेत्रों से आवक बढ़ गई और दाम आसमान से गिरकर जमीन पर आ गया.
भारत में टमाटर का उत्पादन अलग-अलग मात्रा में लगभग सभी राज्यों में होता है. अधिकतम उत्पादन दक्षिणी और पश्चिमी क्षेत्रों में होता है, जिनका योगदान करीब 58 फीसदी का है. विभिन्न क्षेत्रों में उत्पादन सीजन भी अलग-अलग होते हैं. बुवाई और कटाई के मौसम का चक्र और विभिन्न क्षेत्रों में उत्पादन की मौसमी-भिन्नता टमाटर की कीमतों में मौसमी उतार-चढ़ाव के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं. आंध्र प्रदेश देश का 14.27 फीसदी उत्पादन के साथ देश का सबसे बड़ा टमाटर उत्पादक है. इसी तरह 12.87 फीसदी उत्पादन के साथ मध्य प्रदेश दूसरे स्थान पर है. कर्नाटक 10.28 फीसदी के साथ तीसरे नंबर पर है.
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करीब 20 दिन पहले टमाटर 200 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर बिक रहा था, लेकिन अब मार्केट में इसका दाम 40 रुपये किलो के आसपास रह गया है. हालांकि, किसान मंडियों में सिर्फ 2 से 10 रुपये किलो तक के औसत भाव पर बेच रहे हैं. फायदा कमा रहे हैं व्यापारी. महाराष्ट्र की कई मंडियों में दाम गिर गया है. इससे किसानों को बड़ा नुकसान हुआ है.
(स्रोत: महाराष्ट्र राज्य कृषि विपणन बोर्ड)
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