जनवरी से मार्च तक कम बारिश की आशंका, रबी फसलों के उत्‍पादन पर पड़ सकता है बुरा असर

जनवरी से मार्च तक कम बारिश की आशंका, रबी फसलों के उत्‍पादन पर पड़ सकता है बुरा असर

जनवरी से मार्च के दौरान जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार में तापमान सामान्‍य से ज्‍यादा रहेगा और बारिश सामान्‍य से कम होगी. भारत मौसम विज्ञान विभाग ने यह पूर्वानुमान जारी किया है. कहा जा रहा है कि ऐसा होने से रबी फसलों के उत्‍पादन पर असर पड़ सकता है.

rabi croprabi crop
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jan 03, 2025,
  • Updated Jan 03, 2025, 1:33 PM IST

दिसंबर माह में दक्षिण भारत में लगभग पूरे महीने बारिश होती रही. वहीं, आख‍िरी हफ्ता आते-आते उत्‍तर-पश्चिम क्षेत्र- पंजाब, हरियाणा, दिल्‍ली, हिमचाल प्रदेश, जम्‍मू कश्‍मीर, उत्‍तर प्रदेश के कुछ हिस्‍सों और मध्‍य प्रदेश में बारिश दर्ज की गई, जिससे रबी फसलों को जरूरी नमी मिल गई और सिंचाई की जरूरत भी पूरी हो गई. इस बारिश के किसान काफी खुश दिखाई दिए, क्‍योंकि इससे उन्‍हें अच्‍छी उपज मिलने की उम्‍मीद है. लेकिन, भारत मौसम विज्ञान विभाग ने अब जनवरी से मार्च के दौरान देश के उत्‍तरी राज्‍यों- जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार में तापमान सामान्‍य से ज्‍यादा रहने और बारिश सामान्‍य से कम रहने का पूर्वानुमान जारी किया है.

इन फसलों पर पड़ सकता है असर

इससे गेहूं, सरसों, चना और बागवानी फसलों सहित अन्‍य रबी फसलों की पैदावार पर असर पड़ सकता है. अगर पैदावार कम होती है तो इनकी कीमतों पर असर पड़ना तय है. मौसम में बदलाव होने, कम समय में बहुत ज्‍यादा बारिश, गर्म हवाओं से भी टमाटर, प्‍याज जैसी कई बागवानी फसलों की पैदावार पर असर पड़ा है, जि‍ससे इनकी कीमतों में उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है. मालूम हो कि जलवायु परिवर्तन के कारण भी खाने-पीने की चीज़ों की कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है.

ये भी पढ़ें - हरियाणा में शीतलहर से सब्जी की फसलों को बड़ा नुकसान नहीं, किसानों को सतर्क रहने की सलाह

16 दिसंबर तक इतने क्षेत्र में हुई बुवाई

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने 16 दिसंबर 2024 तक रबी फसलों की बुवाई का डेटा जारी किया है. इसके मुताबिक, 16 दिसंबर तक देशभर में  558 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में रबी फसलों की बुवाई की जा चुकी है, जो अभी जारी है. इसमें लगभग 293.11 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुवाई की गई. 123.27 लाख हेक्टेयर में दलहन फसलों की खेती की गई और 38.75 लाख  हेक्टेयर में (श्रीअन्न) मोटे अनाज और  91.60 लाख  हेक्टेयर में  तिलहन फसलों की बुवाई की गई. 

फाइनेंश‍ियल एक्‍सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, कृषि मंत्रालय की ओर से गठित एमएसपी समिति के सदस्य बिनोद आनंद ने कहा कि ज्‍यादा तापमान और बारिश की कमी के कारण रबी फसलों पर बड़े पैमाने पर असर नहीं पड़ेगा, लेकिन फलों और सब्जियों सहित बागवानी फसलों पर थोड़ा असर पड़ सकता है. किसानों को फसल प्रभावित करने वाली मौसम की घटनाओं के बारे में पहले जानकारी देने के लिए पंचायत स्तर पर गांव आधारित मौसम केंद्र बनाए जा रहे हैं.

ओलावृष्टि ने चौपट की फसलें

बता दें कि दिसंबर में कई राज्‍यों में बारिश के साथ ही ओलावृष्टि भी हुई, जिससे कुछ इलाकों में गेहूं, सरसों की फसल को नुकसान पहुंचा. राजस्‍थान, हरियाणा और महराष्‍ट्र के कुछ जिलों में फसलें चौपट होने की जानकारी सामने आई है. हरियाणा सरकार ने फसल के नुकसान का आकलन कर मुआवजा देने की बात कही है.

MORE NEWS

Read more!