अदरक की बंपर उपज पाने के लिए पानी की कितनी जरूरत होती है? कब-कब करें सिंचाई?

अदरक की बंपर उपज पाने के लिए पानी की कितनी जरूरत होती है? कब-कब करें सिंचाई?

आमतौर पर इसकी क‍िसानों को अच्छी कीमत म‍िल जाती है. ऐसे में किसान अगर इसकी खेती अच्छे से करें तो वो अच्छी कमाई कर सकते हैं. लेकिन जो किसान इसे लेकर व‍िशेष ध्यान नहीं देते उन्हें फायदा नहीं पहुंचता मौसम के आधार पर हर 3-4 दिन में स‍िंचाई कर दें, लेकिन अधिक पानी न डालें, क्योंकि अदरक की जड़ें जलभराव की स्थिति में जल्दी सड़ जाती हैं. ज्यादा जलभराव वो नहीं सह पाती हैं. इसल‍िए अदरक की खेती को अच्छी जल निकासी की जरूरत पड़ती है.

अदरक की खेती अदरक की खेती
क‍िसान तक
  • Noida,
  • May 24, 2024,
  • Updated May 24, 2024, 4:53 PM IST

आपके खाने और चाय का स्वाद बढ़ाने वाली अदरक की खेती क‍िसानों के ल‍िए काफी फायदेमंद मानी जाती है. यह एक औषधीय कृष‍ि उपज है. मसाला फसलों में भी इसकी ग‍िनती होती है. इस साल अदरक की कीमत र‍िकॉर्ड 12 से 16 हजार रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल तक पहुंच गई है. आमतौर पर इसकी क‍िसानों को अच्छी कीमत म‍िल जाती है. ऐसे में किसान अगर इसकी खेती अच्छे से करें तो वो अच्छी कमाई कर सकते हैं. लेकिन जो किसान इसे लेकर व‍िशेष ध्यान नहीं देते उन्हें फायदा नहीं पहुंचता है. कई क‍िसान खेती में उचित सिंचाई नहीं कर पाते जिसके चलते उन्हें अच्छा उत्पादन नहीं मिलता है. कृष‍ि वैज्ञान‍िकों ने बताया है क‍ि अदरक की खेती में कब-कब सिंचाई करनी चाहिए.

भारत में अदरक को व्यावसायिक रूप से पूर्वोत्तर क्षेत्र के लगभग सभी राज्य में उगाया जाता है. केरल में सबसे ज्यादा इसकी खेती की जाती है.अदरक केरल के किसानों की प्रमुख नकदी फसल है. अचार, पेय पदार्थ, दवाइयां और कन्फेक्शनरी बनाने के लिए अदरक का प्रयोग किया जाता है. उससे बढ़कर आप रोजाना चाय में अदरक तो डालते ही होंगे. सब्ज‍ियों में भी स्वाद बढ़ाने के ल‍िए अदरक डाली जाती है. 

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कब करें सिंचाई

मौसम के आधार पर हर 3-4 दिन में स‍िंचाई कर दें, लेकिन अधिक पानी न डालें, क्योंकि अदरक की जड़ें जलभराव की स्थिति में जल्दी सड़ जाती हैं. ज्यादा जलभराव वो नहीं सह पाती हैं. इसल‍िए अदरक की खेती को अच्छी जल निकासी की जरूरत पड़ती है. अदरक की अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए सप्ताह में 2-4 बार पानी देकर मिट्टी की नमी के आधार पर अप्रैल-मई में लगाया जाता है. वर्षा के अभाव में 15 दिन के अंतराल पर सिंचाई करते रहना चाहिए. 

खेत का चयन 

अदरक की खेती बलुई दोमट म‍िट्टी, जिसमें अधिक मात्रा में जीवांश या कार्बनिक पदार्थ की मात्रा हो उसमें सबसे उपयुक्त रहती है. म‍िट्टी का पी.एच.मान 5-6 ये 6 .5 होना चाहिए. अच्छे जल निकास वाली जमीन होना अधिक उपज के लिए जरूरी है. एक ही जमीन पर बार-बार फसल लेने से भूमि जनित रोग एवं कीटों में वृद्धि होती है. इसलिए फसल चक्र अपनाना चाहिए.  

खाद की जरूरत 

बीज बोने से पहले 25-30 क‍िलो प्रत‍ि हेक्टेयर गोबर की खाद और 4 क‍िलोग्राम प्रत‍ि हेक्टेयर स्यूडोमोनास के मिश्रण को क्यारियों के ऊपर फैला दें. यदि 2 टन प्रत‍ि हेक्टेयर नीम की खली का चूर्ण फैलाया जाए तो जड़ सड़न रोग से बचाव होता है. फिर बीज को 20-25 सेंटीमीटर की दूरी पर बोया जा सकता है. रोपाई की तारीख से आठ महीने के अंदर अदरक का पौधा कटाई के लिए तैयार हो जाता है.

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