डिजिटल कृषि मिशन से हो सकेगी झूठे फसल बीमा दावों की भी जांच, जानें कैसे 

डिजिटल कृषि मिशन से हो सकेगी झूठे फसल बीमा दावों की भी जांच, जानें कैसे 

केंद्रीय कैबिनेट ने दो सितंबर को 2,817 करोड़ रुपये के डिजिटल कृषि मिशन को मंजूरी दी है. इसके तहत केंद्र का हिस्सा 1,940 करोड़ रुपये होगा और बजट 31 मार्च, 2026 तक खर्च किया जाना है. इस मिशन को केंद्रीय कृषि और किसान कल्‍याण मंत्रालय की तरफ से चलाया जाएगा. बताया जा रहा है कि खेती और किसानों से जुड़े कई डेटा जो अभी अलग-अलग जगहों पर बिखरे हैं, अब उनका डीजिटाइजेशन किया जा रहा है.

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क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Sep 04, 2024,
  • Updated Sep 04, 2024, 6:57 PM IST

पिछले दिनों केंद्र सरकार की तरफ से एक डिजिटल कृषि मिशन की शुरुआत की गई है. इसकी लॉन्चिंग के साथ ही सरकार को अगले दो-तीन सालों तक अनाज खरीद, फसल बीमा योजना, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) और फसल उत्पादन अनुमान जैसे कुछ क्षेत्रों में बड़ा असर दिखने की उम्‍मीद है. वहीं अब यह भी माना जा रहा है कि इसकी मदद से ऐसे फसल बीमा पर भी नियंत्रण लगाया जा सकेगा जिनमें झूठे दावे किए जाते हैं.

केंद्रीय कैबिनेट ने दो सितंबर को 2,817 करोड़ रुपये के डिजिटल कृषि मिशन को मंजूरी दी है. इसके तहत केंद्र का हिस्सा 1,940 करोड़ रुपये होगा और बजट 31 मार्च, 2026 तक खर्च किया जाना है. इस मिशन को केंद्रीय कृषि और किसान कल्‍याण मंत्रालय की तरफ से चलाया जाएगा. 

रियल टाइम पर किसानों की मदद 

अखबार द हिंदू बिजनेसलाइन ने केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय में एडीशनल सेक्रेटरी प्रमोद कुमार मेहरदा के हवाले से लिखा है, 'हम कृषि के लिए एक डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर (DPI) तैयार कर रहे हैं. इसमें कृषि क्षेत्र पर विश्वसनीय और वैरीफाइड डेटा होगा.' उन्‍होंने बताया कि सरकार की कई एजेंसियां ​​किसानों को रियल टाइम में बिना किसी परेशानी के हर सर्विस मुहैया कराने के लिए तैयार है. इस मकसद को पूरा करने के लिए मौजूदा प्रक्रियाओं को फिर से तैयार करने के लिए डीपीआई का प्रयोग किया जा सकता है. उन्‍होंने कहा कि मिशन के तहत कई तत्‍व हैं और हाल ही में कृषि निर्णय सहायता प्रणाली पोर्टल का शुभारंभ उनमें से ही एक है. 

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एक साथ होगा सारा डेटा 

एक और वरिष्‍ठ अधिकारी ने इस बारे में विस्‍तार से जानकारी दी. इस अधिकारी ने बताया कि खेती और किसानों से जुड़े कई डेटा जो अभी अलग-अलग जगहों पर बिखरे हैं, उनमें से कुछ फिजिकल फॉर्म में हैं, अब उनका डीजिटाइजेशन किया जा रहा है. इसका उदाहरण देते हुए उन्‍होंने समझाया कि जैसे लैंड रिकॉर्ड (मालिकाना हक वाले सर्टिफिकेट के साथ), उर्वरक और बाकी इनपुट एप्‍लीकेशन, लोन के डेटा राज्य सरकारों के पास हैं. कई और जानकारियां सहकारिता मंत्रालय, पशुपालन मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय और पंचायती राज मंत्रालय में बिखरी हुई हैं. इन्‍हें अब एक ही जगह पर कलेक्‍ट किया जा रहा है ताकि इस क्षेत्र में किसी भी तरह की विसंगति से बचा जा सके. 

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किसानों को होगी सुविधा 

अधिकारियों की मानें तो मकसद कई डेटाबेस और कई प्लेटफॉर्म की जगह एक ही प्‍लेटफॉर्म पर सारा डेटा इकट्ठा रखना है. सरकार को उम्मीद है कि 2-3 साल बाद किसान को फायदों और सर्विसेज तक पहुंचने के लिए ही खुद को डिजिटली आईडेंटीफाई कर सकेंगे. साथ ही ऐसा करके उन्‍हें उबाऊ कागजी कार्रवाई से बचने में मदद मिलेगी. साथ ही कई ऑफिसेज या सर्विस प्रोवाइडर्स के पास जाने की जरूरत भी न के बराबर होगी. एक और अधिकारी ने बताया कि किसान जीरो पेपर वर्क या फिर बिना किसी दस्तावेज के, कृषि-इनपुट सप्लायर्स और कृषि उपज के खरीदारों से जुड़े फसल कर्ज, पेपर फ्री एमएसपी बेस्‍ड खरीद, फसल बीमा, क्रेडिट कार्ड-लिंक्ड फसल कर्ज का प्रयोग करने में सक्षम हो सकेंगे. 

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