Rajasthan News: चूरू का तापमान 40 डिग्री पार, सितंबर शुरू...अब तक है बारिश का इंतजार

Rajasthan News: चूरू का तापमान 40 डिग्री पार, सितंबर शुरू...अब तक है बारिश का इंतजार

राजस्थान के चूरू जिले में इस बार खरीफ सीजन की फसलों में 70 फीसदी का नुकसान हो सकता है. इसकी वजह इस साल मॉनसून के समय न हुई बारिश है. दरअसल जुलाई के महीने में यहां अच्छी बारिश हुई थी जिसे देखते हुए किसानों ने फसलों की अधिक बुआई कर दी, लेकिन अब नुकसान है.

राजस्थान के चूरू में कम हुई बारिश से फसलों का हो सकता है नुकसानराजस्थान के चूरू में कम हुई बारिश से फसलों का हो सकता है नुकसान
विजय चौहान
  • churu,
  • Sep 06, 2023,
  • Updated Sep 06, 2023, 7:40 PM IST

राजस्थान के चूरू में जुलाई में औसत से 61 एमएम ज्यादा बारिश होने के बाद पूरे अगस्त और सितंबर के पहले सप्ताह में बरसात नहीं होने के कारण खरीफ की फसलों में 70 फीसदी का नुकसान हो गया है. दरअसल जुलाई महीने में बारिश होने के बाद भी चूरू में सितंबर के महीने में तापमान 40 डिग्री के पार चला गया है. इस वजह से खरीफ फसल की बुआई लेट हुई जिसमें 70 प्रतिशत फसल तो पूरी तरह नष्ट होने की आशंका है. सबसे बड़ी बात ये है कि जिले के सिंचित एरिया में छह घंटे बिजली भी सप्लाई नहीं हो रही है.

ऐसी ही एक और समस्या ये है कि सरदारशहर तहसील में सिंचित क्षेत्र को पूरी बिजली नहीं मिल रही है. 15 हजार किसान इस बात से परेशान हैं. उन्हें दो से तीन घंटे कम वोल्टेज की बिजली मिल रही है, जिससे मोटर जल रही है. किसानों का कहना है कि किसान खेत को छोड़कर मोटर की मरम्मत में लगे रहते हैं.

लक्ष्य से ज्यादा हुई फसलों की बुआई 

प्रदेश में इस समय मॉनसून की कमजोर स्थिति बनी हुई है. अगले 10 दिन के दौरान मौसम शुष्क रहने की संभावना है. जिले में इस बार जून, जुलाई और उससे पहले अच्छी बारिश होने के कारण लक्ष्य से ज्यादा बुआई हुई है. लेकिन अगस्त सूखा निकल जाने से किसान चिंतित हैं. अब अगस्त और सितंबर के शुरुआती दिनों में बारिश न होने की वजह से फसल को बहुत ज्यादा नुकसान होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है. वहीं इससे पछेती फसल ज्यादा प्रभावित होगी क्योंकि उनके दाने निकलने का स्टेज होता है.

11 लाख हेक्टेयर फसल की बुआई

जिले में खरीफ की बुआई लक्ष्य से ज्यादा की गई है. लक्ष्य 10.92 लाख हेक्टेयर में खेती करने का था जबकि बुवाई 11.03 लाख हेक्टेयर तक की गई है. इसमें ग्वार की खेती 1,62,750 हेक्टेयर, चोहला की खेती 11,500 हेक्टेयर, बाजरा की खेती 2,48,700 हेक्टेयर, मूंग की खेती 3,54,300 हेक्टेयर, मोठ की खेती 2,22,750 हेक्टेयर, मूंगफली की खेती 1,75,800 हेक्टेयर, तिल की खेती 2100 हेक्टेयर, कपास की खेती 2700 हेक्टेयर और अन्य फसलों की खेती 3500 हेक्टेयर में हुई है.

किसानों का कहना है कि पहले अच्छी बारिश होने से उन्होंने बड़े रकबे में फसलें लगा दीं. लेकिन जब फसल को पानी की जरूरत है तो सूखा पड़ गया. इससे किसानों को भारी नुकसान है. हालत ये हो गई है कि उनकी लागत भी नहीं निकल पाएगी, ऐसी आशंका है.

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