एक अप्रैल के बाद भी प्याज की निर्यात बंदी लागू रहने की वजह से प्रमुख मंडियों में दाम काफी गिर गए हैं. अधिकतम दाम सिर्फ 20 रुपये किलो पर आकर अटक गया है. जबकि किसानों का दावा है कि इतनी तो उनकी उत्पादन लागत आती है. अधिकतम दाम बहुत कम किसानों को ही मिल पाता है. ज्यादातर किसान न्यूनतम दाम पर ही संतोष करते हैं जो 2 रुपये से लेकर के 7 रुपये किलो तक है. इस बीच महाराष्ट्र की कई मंडियों में आवक लगातार बढ़ रही है जिसकी वजह से दाम और कम हो रहा. राज्य मैं रबी सीजन के प्याज की बड़े पैमाने पर खेती होती है और इसके स्टोरेज की व्यवस्था सभी किसानों के पास नहीं है, इसलिए अब मार्केट में इसकी आवक तेजी से बढ़ने का अनुमान है.
किसानों को उम्मीद थी कि केंद्र सरकार तय समय पर 31 मार्च 2024 तक प्याज की निर्यात बंदी को खत्म कर देगी, लेकिन उसने इसे आगे बढ़ा दिया. जिसकी वजह से किसानों की परेशानी रबी सीजन में भी बढ़ गई है. सरकार ने खरीफ सीजन की शुरुआत में 7 दिसंबर 2023 को निर्यात बंदी लागू की थी और कहा था कि यह 31 मार्च 2024 तक लागू रहेगी. लेकिन अब उसे आगे बढ़ाने की वजह से रवि सीजन भी किसानों के लिए चौपट हो सकता है, क्योंकि दाम काफी गिर गए हैं.
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महाराष्ट्र देश का सबसे बड़ा प्याज उत्पादक है. यहां लाखों किसानों की आजीविका इसकी खेती पर निर्भर है. निर्यात बंदी लागू होने की वजह से यहां के किसानों को सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है. इसलिए निर्यात बंदी के खिलाफ सबसे ज्यादा गुस्सा यहीं के किसानों में है. अब यहां के किसान लोकसभा चुनाव में उन लोगों को सबक सिखाने की बात कर रहे हैं जिनकी वजह से उन्हें प्याज की खेती में लाखों रुपये का नुकसान झेलना पड़ रहा है. किसानों का कहना है कि उनके साथ न तो सत्ता पक्ष है न विपक्ष. किसान लगातार औने पौने दाम पर प्याज बेच रहे हैं लेकिन नेताओं को इस मुद्दे से कोई वास्ता ही नहीं लगता.
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