पिछले कई वर्षों से हरियाणा सरकार को कस्टम-मिल्ड चावल (सीएमआर) देने में विफल रहे चावल मिल मालिकों के खिलाफ एफआईआर और संपत्तियों की कुर्की की जा रही है. इससे राज्य के खजाने को भारी नुकसान हुआ है. जिला अधिकारियों के अनुसार, पिछले 10 वर्षों में 39 मिलर्स ने डिफॉल्ट किया है, जिससे सरकार को लगभग 240 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. अधिकारियों ने कहा कि लगभग सभी मामलों में आईपीसी की धारा 409 (आपराधिक विश्वासघात, जिसमें आजीवन कारावास हो सकता है) और अन्य संबंधित धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई है.
ऐसे मिलर्स और उनके गारंटरों की संपत्तियां कुर्क की गई हैं. 'दि ट्रिब्यून' के मुताबिक इस मामले को लेकर उपायुक्त अनीश यादव ने कहा कि सीएमआर की समय पर डिलीवरी सुनिश्चित करने के लिए वे समय-समय पर मिलर्स को आगाह करते रहते हैं.
सीएमआर समझौते के अनुसार प्रत्येक मिलर को विभिन्न खरीद एजेंसियों द्वारा आवंटित कुल धान का 67 प्रतिशत भारतीय खाद्य निगम (FCI) को निर्धारित समय के भीतर 25 प्रतिशत, 31 दिसंबर तक वितरित करना होगा. इसके बाद प्रत्येक को 20 प्रतिशत देना होगा. एक अधिकारी ने कहा, 31 जनवरी, 28 फरवरी और 31 मार्च और बाकी 15 प्रतिशत 30 अप्रैल तक देना होगा.
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जिला खाद्य आपूर्ति नियंत्रक अनिल कालरा ने कहा कि चालू वर्ष में पांच चावल मिलर्स और उनके गारंटरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. ये वो हैं जो 2022-23 में सीएमआर देने में विफल रहे. उनकी संपत्तियां भी कुर्क की गई हैं. उन्होंने कहा कि पिछले एक साल में 10 करोड़ रुपये की वसूली की गई है.
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि डिफॉल्टर अक्सर कार्रवाई से बचने के लिए कानूनी खामियों और राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल करते हैं. उन्होंने कहा कि ज्यादातर डिफॉल्टरों ने ब्याज नहीं, बल्कि केवल मूल राशि का भुगतान करने की राहत के लिए अदालतों का दरवाजा खटखटाया है.
विभाग के पास सीएमआर प्रणाली की निगरानी और कार्यान्वयन के लिए पर्याप्त कर्मचारियों और संसाधनों का भी अभाव है. मिल मालिकों में से एक ने कहा कि मिल मालिकों के वेरिफिकेशन में खामियों के कारण डिफॉल्टरों की संख्या बढ़ रही है. अधिकारियों को सीएमआर आवंटित करने से पहले उनकी पृष्ठभूमि की जांच करनी चाहिए. कुछ बकाएदार फर्म का नाम बदलकर दोबारा सीएमआर ले लेते हैं, जिस पर रोक लगनी चाहिए. कुछ मिल मालिक मिल को किराये पर लेते हैं और दूसरों को धान बेचने के बाद वहां से भाग जाते हैं. उन्होंने कहा कि सरकार को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि डिफॉल्टरों को कड़ी सजा दी जाए और उनके लाइसेंस स्थायी रूप से रद्द कर दिए जाएं.