चने की खेती देश के लगभग सभी राज्यों में की जाती है. यह रबी सीजन की प्रमुख दलहनी फसलों में से एक है. अन्य फसलों में चने का विशिष्ट स्थान है. बाजार में इसकी मांग काफी रहती है. इसका बाजार मूल्य भी काफी अधिक रहता है. चने की खेती से किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं चने की अधिक पैदावार लेने के लिए किसानों को उसको सही समय पर खेती और अच्छी किस्मों का चयन करना बेहद जरूरी है, इसकी कुछ ऐसी किस्में हैं, जिसमें न कीट लगते हैं और न ही रोग होता है. इन किस्मों की खेती से किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. बाजार में इसकी डिमांड पूरे साल बनी रहती है ऐसे में किसानों के लिए चने की खेती फायदे का सौदा साबित हो सकती है.
इसकी बुआई अक्टूबर और नवंबर के दूसरे सप्ताह तक की जाती है. खरीफ सीजन चालू है ऐसे में किसान की चने की उन्नत किस्मों का चयन कर अच्छा उत्पादन और मुनाफा दोनों ले सकते हैं. चने की खेती सबसे ज्यादा मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र जैसे राज्यों में की जाती है. ये राज्य चना के मुख्य उत्पादक राज्य हैं.
चने की ये किस्म भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR)के करनाल स्थित क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र की ओर से विकसित की गई है. इस किस्म को नवंबर माह में तापमान कम होने पर बोया जाता है. किसान भाई 25 अक्टूबर से 15 नवंबर तक इसकी बुवाई कर सकते हैं. इस किस्म के पौधे में 50 से 55 दिन की अवधि में फूल आने शुरू हो जाते हैं। ये किस्म करीब 120 दिन में पककर तैयार हो जाती है. यह किस्म भी अधिक उत्पादन देती है.
चने की यह किस्म एक मध्यम समय में उपज देने वाली किस्म है. यह किस्म के लगभग 110 से 115 दिन में तैयार हो जाती हैं. चने की इस किस्म की खेती सिंचित और असिंचित दोनों जगहों पर की जा सकती है. इसके पौधों का फैलाव कम होता है. इस किस्म का प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 20 क्विंटल के लगभग हो जाता हैं. इस किस्म को मध्य प्रदेश राज्य में अधिक उगाया जाता है.
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चना की यह किस्म सिंचित और असिंचित दोनों जगहों पर पछेती रोपाई के लिए उपयुक्त होती है. इस किस्म के ज्यादतर पौधे लम्बे और सीधे होते हैं. जो बीज रोपाई के लगभग 130 दिन के आस-पास पककर तैयार हो जाते हैं. इस किस्म की औसतन उपज लगभग 27 कुंटल प्रति हेक्टेयर है. तथा इस किस्म के पौधों में अंगमारी की बीमारी कम होती है.
चने की ये किस्म फुले कृषि विश्वविद्यालय राहुरी द्वारा विकसित की गई है. ये किस्म अधिक उत्पादन देने वाली किस्मों में शुमार है. इस किस्म की बुवाई का समय अक्टूबर से नवंबर के मध्य का होता है. चने की यह किस्म 90 से 105 दिन पककर तैयार हो जाती है. इस किस्म से अधिकतम 40 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है.
इस किस्म को भी सिंचित और असिंचित दोनों जगहों पर आसानी से बुवाई की जा सकती है. इस किस्म के पौधे सामान्य ऊंचाई के होते हैं. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 150 दिन बाद उपज तैयार हो जाती हैं. इस किस्म पौधे पर गुलाबी बैंगनी रंग के फूल होते हैं, जबकि इसके दानो का रंग गुलाबी भूरा होता है. इस किस्म के चने का उत्पादन लगभग प्रति हेक्टेयर 20 से 25 क्विंटल तक हो है.
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