महाराष्ट्र के अधिकांश हिस्सों में अनियमित बारिश ने किसानों की परेशानी बढ़ा दी है. कभी लगातार 20-22 दिन बारिश नहीं हुई तो कभी हुई तो सामान्य से ज्यादा हो गई. बारिश के इस बिगड़े पैटर्न से फसलों को भारी नुकसान हुआ है. कुछ इलाकों में खरीफ़ सीजन की फसल बर्बाद हो गई है तो कुछ इलाकों में बर्बाद होने की कगार पर है. खासतौर पर सोयाबीन और कॉटन पर ज्यादा बुरा असर पड़ा है. बीड जिला भी कम बारिश से बुरी तरह प्रभावित हुआ है. कृषि विभाग ने बीड जिले में खरीफ फसलों के उत्पादन में 50 प्रतिशत से अधिक की गिरावट का अनुमान लगाया है. इस संबंध में कृषि विभाग ने सरकार को रिपोर्ट सौंप दी है.
बीड़ में एक जून से 21 सितंबर तक सामान्य से 45 फीसदी कम बारिश हुई है. यहां पर इस दौरान 506.7 एमएम के मुकाबले सिर्फ 280.4 एमएम बारिश रिकॉर्ड की गई. पिछले तीन महीनों में बीड जिले में केवल 21 दिन बारिश हुई है. ऐसे में यहां पर सोयाबीन के साथ-साथ कपास, अरहर और अन्य फसलों का उत्पादन 50 फीसदी घट जाएगा. ऐसा अनुमान लगाया गया है. बारिश की कमी के कारण बीड जिले में खरीफ सीजन की फसलें खतरे में हैं. क्योंकि पानी की कमी से उनकी वृद्धि बुरी तरह प्रभावित हुई है.कृषि विभाग ने कपास, सोयाबीन, उड़द, मूंग और मूंगफली जैसी सभी फसलों के उत्पादन में 50 प्रतिशत से अधिक की कमी की संभावना जताई है. इस संबंध में राज्य सरकार को रिपोर्ट भेज दी गई है.
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बीड जिले में बारिश की कमी के कारण एक ही तालुका में 90 हेक्टेयर सोयाबीन की फसल नष्ट हो गई है. फसल बीमा कंपनी ने 25 प्रतिशत अग्रिम फसल बीमा को मंजूरी दे दी है. हालांकि, दूसरी ओर, स्वीकृत फसल बीमा अभी तक किसानों को नहीं मिला है. औसत से कम वर्षा के कारण मौसम विभाग ने घोषणा की है कि बीड जिला अब रेड जोन में है. इससे एक तरफ फसल उत्पादन में गिरावट तो दूसरी तरफ पशुओं के चारे और पीने के पानी की समस्या अब चिंता का विषय बनती जा रही है.
राज्य में भारी बारिश से हालात और भी गंभीर होते जा रहे हैं. यहां के 36 में से 13 जिलों में पेयजल और पशुचारा की स्थिति गंभीर है. इस साल मॉनसून की बारिश हर जगह अच्छी नहीं हुई है. कोंकण और गोवा के कुछ हिस्सों, साथ ही ठाणे और नांदेड़ जिलों को छोड़कर, अन्य जगहों पर बारिश औसत है. साथ ही राज्य के 13 जिलों में औसत से काफी कम बारिश हुई है. जिसमें अहमदनगर, छत्रपति संभाजीनगर, जालना, बीड, धाराशिव, सोलापुर, सांगली, सतारा, परभणी, हिंगोली, वाशिम, अकोला और अमरावती जिले शामिल हैं. इनमें सूखे का सामना करना पड़ रहा है. इसलिए ये सभी जिले बारिश के लिहाज से रेड जोन में हैं.
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