सोलापुर के मालशिरस तालुक के जांभुल गांव के किसान अन्ना पाटीलने 1500 अनार के पेड़ों से लगभग 40 से 50 टन अनार की पैदावार की है. अब यह अनार को बाजार में 170 रुपये किलो का भाव मिल रहा है. यह अनार किसानों द्वारा बांगलादेश भी भेजा जा रहा है. जांभूल गांव के किसान अन्ना पाटिल ने अपनी 06 एकड़ जमीन में 3000 अनार के पेड़ लगाए हैं. इस काम में उनके परिवार वाले भी उनकी मदद करते हैं. अनार की खेती के लिए पानी और उर्वरक की उचित योजना के कारण अनार का वजन 100 ग्राम से बढ़कर एक किलोग्राम हो गया. अन्ना पाटिल ने अपनी खेती में रासायनिक, जैविक और जैविक उर्वरकों का उपयोग किया है. अब तक अन्ना पाटिल 1500 पेड़ों से 40 से 50 टन अनार का उत्पादन कर चुके हैं.
साल में चार बार रासायनिक उर्वरकों के साथ गोबर की खाद का प्रयोग करने और पानी का उचित प्रबंधन करने से अनार पर कहीं भी तेला रोग, पिन होल रोग का प्रकोप नहीं हुआ है. फल बहुत ताजा और रसदार है. व्यापारियों ने इस अनार की कीमत 170 रुपये प्रति किलो रखी है. अन्ना पाटील ने ने बताया कि तीन हजार पेड़ों के रखरखाव के लिए एक वर्ष में लगभग साढ़े चार लाख रुपये का खर्च होता है. इस किसान का कहना है कि लागत भले चार-पांच लाख रुपये लगती हो, लेकिन कमाई उससे कई गुना ज्यादा है. किसान के मुताबिक उनके पेड़ से 50 टन तक उत्पादन मिलता है और मुनाफा 70 लाख रुपये तक का है.
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भारतीय किसान अच्छी आय कमाने के लिए हर साल बाग लगा रहे हैं. किसान फलों की खेती में रुचि ले रहे हैं क्योंकि यह एक बार का फार्मूला है. कुछ फलदार पौधे ऐसे हैं जिनकी एक बार खेती करने से किसानों को कई सालों तक फायदा होता है. इन्हीं फलों में शामिल है अनार, जिसकी खेती करके किसान एक साल में लाखों रुपये तक का मुनाफा कमा सकते हैं. हमारे देश में अनार की बागवानी महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर की जाती है.
अनार का फल सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है. अनार में भरपूर मात्रा में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, विटामिन, एंटी-ऑक्सीडेंट और मिनरल्स मौजूद होते हैं. एनीमिया, कब्ज, चमकती त्वचा और ऊर्जा पाने के लिए अनार का फल बहुत उपयोगी है. इसके छिलकों से आयुर्वेदिक औषधियां भी बनाई जाती हैं.