फरवरी-मार्च में खीरे की पैदावार शुरू कर कमाएं अच्छा मुनाफा, बुआई-सिंचाई और उन्नत किस्मों के बारे में जानिए

फरवरी-मार्च में खीरे की पैदावार शुरू कर कमाएं अच्छा मुनाफा, बुआई-सिंचाई और उन्नत किस्मों के बारे में जानिए

खीरे की खेती से किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं. इसकी खेती का उचित समय फरवरी और मार्च महीने का माना जाता है. यहां जानिए इसकी खेती के लिए कैसी होनी चाहिए मिट्टी और कौन सी है सबसे बेहतर किस्म.

Cucumber FarmingCucumber Farming
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jan 12, 2024,
  • Updated Jan 12, 2024, 4:35 PM IST

कद्दूवर्गीय फसलों में खीरा का अपना एक अलग ही महत्वपूर्ण स्थान है. इसका उत्पादन देश भर में किया जाता है. इसकी खेती खरीफ, रबी और जायद तीनों सीजन में कर सकते हैं. लेकिन गर्मी के मौसम में इसका बाजारों में बहुत ज्यादा मांग होती है. इसलिए कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि किसान खीरे की खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. किसान इसकी खेती से कम समय में अच्छी कमाई कर सकते हैं खीरा बहुत जल्दी तैयार होने वाली फसल है. इसकी बुवाई के दो महीने बाद ही इसमें फल लगना चालू हो जाता है.खीरा भोजन के साथ सलाद के रूप में कच्चा खाया जाता है. 

ये गर्मी से शीतलता प्रदान करता है और हमारे शरीर में पानी की कमी को भी पूरा करता है. इसलिए गर्मियों में इसका सेवन काफी फायदेमंद बताया गया है. गर्मी के समय बाज़ारों में इसकी डिमांड बने रहने से किसानों को भाव अच्छा भी मिलता है.अगर किसान खीरे की खेती वैज्ञानिक विधि से करें तो इसकी फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है. वहीं महाराष्ट्र के कोंकण जैसे वर्षा सिंचित क्षेत्र में बरसात के मौसम में भी इसका ज्यादा उत्पादन होता है. इस फसल की खेती महाराष्ट्र में लगभग 3711 हेक्टेयर में की जाती है. 

कैसी होनी चाहिए मिट्टी

 खीरे को रेतीली दोमट और भारी मिट्टी में भी उगाया जा सकता है, लेकिन इसकी खेती के लिए अच्छे जल निकास वाली बलुई एवं दोमट मिट्टी में अच्छी रहती है. खीरे की खेती के लिए मिट्टी का पीएच मान 6-7 के बीच होना चाहिए
 

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खीरे की खेती के लिए बुवाई का समय 

ग्रीष्म ऋतु के लिए इसकी बुवाई फरवरी और मार्च के महीने में की जाती है. वर्षा ऋतु के लिए इसकी बुवाई जून-जुलाई में करते हैं. वहीं पर्वतीय क्षेत्रों में इसकी बुवाई मार्च व अप्रैल माह में की जाती है.

उन्नत किस्में

पूसा संयोग, पूसा बरखा, स्वर्ण पूर्णिमा, पूसा उदय, पूना खीरा, स्वर्ण अगेती, पंजाब सलेक्शन, खीरा 90, कल्यानपुर हरा खीरा, खीरा 75, पीसीयूएच- 1, पूसा उदय, स्वर्ण पूर्णा और स्वर्ण शीतल आदि इसकी अच्छी किस्म मानी जाती हैं. पूसा संयोग एक हाइब्रिड किस्म है जो 50 दिन में तैयार हो जाती है. प्रति हेक्टेयर 200 क्विंटल तक पैदावार मिल सकती है. जबकि पूसा बरखा खरीफ के मौसम के लिए है. इसकी औसत पैदावार 300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है. उधर, स्वर्ण शीतल चूर्णी फफूंदी और श्याम वर्ण रोग प्रतिरोधी किस्म है.

बीज की मात्रा 

एक एकड़ खेत के लिए 1.0 किलोग्राम बीज की मात्रा काफी है. ध्यान रहे बिजाई से पहले, फसल को कीटों और बीमारियों से बचाने के लिए और जीवनकाल बढ़ाने के लिए, अनुकूल रासायनिक के साथ उपचार जरूर करें. बिजाई से पहले बीजों का 2 ग्राम कप्तान के साथ उपचारित किया जाना चाहिए.

कब करनी चाहिए तुड़ाई

खीरे के फलों को कच्ची अवस्था में तोड़ लेना चाहिए जिससे बाजार में उनकी अच्छी कीमत मिल सके. फलों को एक दिन छोडक़र तोडऩा अच्छा रहता है. फलों को तेजधार वाले चाकू या थोड़ा घुमाकर तोडऩा चाहिए ताकि बेल को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचे. खीरे को तोड़ते समय ये नरम होने चाहिए, पीले फल नहीं होने देना चाहिए.

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