पोषक तत्वों से भरपूर सहजन सेहत के लिए बहुत गुणकारी माना जाता है. इसमें विटामिन सी, विटामिन ई, कैल्शियम और आयरन जैसे न्यूट्रिएंट पाए जाते हैं, जिसकी वजह से इसे हर कोई खाना चाहता है. ऐसे में न सिर्फ साल भर इसकी मांग बनी रहती है बल्कि दाम भी अच्छा मिलता है. अलग-अलग समय में इसकी कीमत 80 से 200 रुपये प्रति किलो तक के आसपास रहती है. दाम और गुणों की वजह से पिछले कुछ सालों से सहजन की खेती की लोकप्रियता किसानों के बीच बहुत तेजी से बढ़ी है. क्योंकि यह कम लागत में किसानों को अच्छी खासी कमाई करा देता है. इसकी जितनी मांग सब्जी के रूप में है, उतनी ही औषधीय इस्तेमाल के लिए भी है.
सहजन की खेती को नकदी और व्यावसायिक लाभ देने वाली फसल भी माना जाता है. बाजार में सहजन के फूल और छोटे-छोटे सहजन से लेकर बड़े सहजन के फलों का अच्छा दाम मिलता है. इसके अलावा सहजन के बीजों से तेल निकाल कर उसे भी उपयोग में लाया जाता है. इसकी फलियां साल में दो बार लगती हैं. इसका पौधा लगाने के दस महीने बाद फल देने लगता है और अगले चार साल तक उत्पादन देता रहता है.
सहजन की खेती बंजर भूमि पर भी की जा सकती है. सहजन को एक बहुवर्षीय सब्जी देने वाले पौधे के रूप में भी जाना जाता है. गांवों में सहजन का पौधा बिना किसी विशेष देखभाल के ही किसानों के घरों के पास लगाया जाता है. इसकी खेती जुलाई से अक्टूबर तक की जाती है. ऐसे में इस खरीफ सीजन में किसान सहजन की आसान तरीके से खेती कर अच्छा उत्पादन और मुनाफा दोनों कमा सकते हैं. एक एकड़ जमीन में आप सहजन के कम से कम 1200 बीज बो सकते हैं.
सहजन के बीजों की सीधे खेतों में रोपाई नहीं की जाती. पहले बीजों से नर्सरी में पौधे तैयार करते हैं. खेतों में पौधों की रोपाई जुलाई से अक्टूबर दौरान करनी चाहिए. क्योंकि बारिश के मौसम में पौधे तेज़ी से बढ़ते हैं और इन्हें सिंचाई की ज़रूरत भी नहीं पड़ती. नर्सरी में एक पॉलीथिन बैग में सहजन के दो-तीन बीज रोपना चाहिए. ये बीज 10-12 दिनों में अंकुरित हो जाते हैं। इसके बाद जब पौधों की ऊँचाई डेढ़-दो फीट की हो जाए तब इन्हें खेत में लगाना चाहिए.
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सहजन के पौधों की मुख्य विशेषता यह हैं कि इसके एक बार बुवाई कर देने के बाद यह चार साल तक उपज देता हैं. इसके पौधों को अधिक जमीन की आवश्यकता नहीं होती इसे घर के बगल में भी लगा सकते हैं. इसके पेड़ को न ही ज्यादा पानी की आवश्यकता होती हैं और न ही इसका ज्यादा रखरखाव करना पड़ता है.
सहजन बहुउपयोगी पौधा है. पौधे के सभी भागों का प्रयोग भोजन, दवा औद्योगिक कार्यो आदि में किया जाता हैं. सहजन में प्रचुर मात्रा में पोषक तत्व व विटामिन हैं.एक अध्ययन के अनुसार इसमें दूध की तुलना में चार गुणा पोटाशियम तथा संतरा की तुलना में सात गुणा विटामिन सी हैं.
कोयम्बटूर 2: फली का रंग गहरा हरा और स्वादिष्ट होता है. वही पौधा लगभग तीन से चार साल तक उपज देता है. अगर पौधे से उपज सही समय पर नहीं लिया जाए, तो इसका बाजार मूल्य कम हो जाता है.
पीकेएम 1: पीकेएम-1 किस्म, सहजन की एक बहुत उन्नत किस्म है. अन्य किस्मों की तुलना में इसकी फली का स्वाद काफी बेहतर होता है. वही इस किस्म के पौधों से लगातार चार साल तक फली प्राप्त होती रहती है. पौधों में 90 से 100 दिनों बाद फूल आना शुरू हो जाता है. इसकी फली की लंबाई लगभग 45 से 75 सेंटीमीटर की होती है. साथ ही इस किस्म से साल में लगभग चार बार फली की प्राप्ति होती है. यही वजह है की इसकी खेती किसानों के फायदेमंद है.
बाज़ार में सहजन के फल, फूल और पत्तियों की मांग हमेशा रहती है. एक हेक्टेयर में सहजन के लगभग 400 से 500 पेड़ लगाए जा सकते हैं इसकी प्रति हेक्टेयर लागत 70-75 हज़ार रुपये बैठती है. सहजान के एक पेड़ से एक सीज़न में औसतन 200 से 300 फलियाँ प्राप्त होती हैं. इनका वजन 40 से 50 किलो तक होता है. इससे प्रति हेक्टेयर 1600 से 2000 किलो तक सहजन पैदा होता है, जो बाज़ार में एक से दो लाख रुपये तक बिकता है. लेकिन सहजन की उपज साल में दो बार मिलती है और इसकी किस्में कम से कम पाँच साल तक उपज देती हैं, लिहाज़ा सहजन की खेती कम लागत में शानदार मुनाफ़ा किसानों को मिलता हैं.
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