केंद्र सरकार ने सितंबर 2022 से 100 प्रतिशत टूटे चावल के निर्यात पर लगी रोक को इस साल 7 मार्च को हटा दिया, जिसके बाद अब इसका निर्यात शुरू हो गया है. लेकिन व्यापारियों और विश्लेषकों का कहना है कि इसके निर्यात में भारत को फिर से पैठ बनाने में मुश्किल होगी, क्योंकि वैश्विक खरीदारों को वापस अपने पक्ष में ला पाना कठिन होगा. नई दिल्ली के एक्सपोर्टर राजेश पहाड़िया जैन ने कहा कि भारत टूटे चावल के निर्यात पर बैन से पहले के आंकड़ों को नहीं छू पाएगा.
‘बिजनेसलाइन’ की रिपोर्ट के मुताबिक, नई दिल्ली के एक ट्रेड एनालिस्ट एस चंद्रशेखरन ने कहा कि अनाज की घरेलू कीमतों में गिरावट के कारण सरकार ने टूटे चावल का निर्यात फिर से बहाल किया है. इस समय वैश्विक बाजार में चावल की कीमतें दो साल के निचले स्तर पर पहुंच गई हैं. वहीं, 1 मार्च, 2025 तक रिकॉर्ड के मुताबिक, भारत के पास 36.7 मिलियन टन चावल का स्टॉक रखा हुआ है. वहीं, भारत का टूटा चावल म्यांमार और पाकिस्तान जैसे अन्य देशों के मुकाबले महंगा भी है.
मालूम हो कि खाद्य महंगाई बढ़ने और धान उत्पादक क्षेत्रों में बारिश की कमी के चलते खरीफ उत्पादन में गिरावट की आशंकाओं के बीच केंद्र सरकार ने सितंबर 2022 में टूटे चावल के निर्यात पर बैन लगा दिया था. निर्यातक समूह राजथी के डायरेक्टर एम मदन प्रकाश ने कहा कि भारतीय निर्यातक 360 डॉलर प्रति टन के भाव से टूटे चावल बेच रहे हैं, जबकि वियतनाम खाद्य संघ के मुताबिक, वियतनाम और पाकिस्तान इसे 307 डॉलर और थाईलैंड 354 डॉलर के भाव से यह चावल बेच रहा है.
वित्त वर्ष 2021-22 में भारत ने रिकॉर्ड 17.26 मिलियन टन गैर-बासमती चावल विदेशों में एक्सपोर्ट किया था, इसमें 3.89 मिलियन टन टूटा चावल भी शाामिल था. भारत के साथ यह समस्या भी है कि टूटे चावल का इस्तेमाल इथेनॉल बनाने के लिए किया जाता है. भारतीय खाद्य निगम (FCI) OMSS के तहत जनवरी से टूटे चावल को 2,250 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बेच रहा है और इथेनॉल डिस्टिलरी इस भाव से 2.4 टन चावल खरीद सकती हैं.
एक्सपोर्टर राजेश पहाड़िया जैन ने कहा कि कोरोना काल में टूटे चावल के निर्यात में बढ़ोतरी दर्ज की गई थी, क्योंकि अन्य चावल उत्पादक देशों में मौसम की स्थितियां प्रतिकूल थी, जिस कारण से उनका 20-30 प्रतिशत गिर गया था. वहीं, कोविड के समय भारत में इथेनॉल प्लांट बन रहे थे, जिससे उन्हें चावल की जरूरत नहीं पड़ी, लेकिन अब ये प्लांट चालू हैं और इनमें भी टूटे चावल की खपत हो रही है. ऐसे में यहां की डिस्टिलरीज की पहली पसंद FCI के नीलामी वाले टूटे चावल होंगे. अब भारत के टूटे चावल की उपलब्धता बाजार में बचे हुए चावल से तय होगी.
दक्षिण भारत के एक निर्यातक ने कहा भारत ने टूटे चावल के निर्यात को भले ही फिर से मंजूरी दे दी है, लेकिन ग्राहकों में फिर से पकड़ बनाना आसान नहीं होगा. जैन ने उम्मीद जताई है कि टूटे हुए चावल का निर्यात 1.2-1.6 मिलियन टन तक पहुंचेगा. अगर चीन भारत से टूटे चावल खरीदने में आगे आता है तो निर्यात बढ़कर 3 मिलियन टन पहुंच सकता है. साथ ही 100 प्रतिशत टूटे चावल अब 25 प्रतिशत टूटे चावल की खेपों में भी शामिल हो सकते हैं और इससे निर्यात की मात्रा बढ़ सकती है.