मसालों में वैल्यू एडिशन और सर्टिफिकेशन को बढ़ावा देना जरूरी है. ऐसा करने से मसालों की क्वालिटी बढ़ेगी, साथ ही विश्व व्यापार में भारतीय मसालों की मांग बढ़ेगी. दुनिया के बाजारों भारतीय मसालों का मुकाबला बढ़ेगा. ये बातें आईसीएआर, नई दिल्ली में डिप्टी डायरेक्टर जनरल (बागवानी विज्ञान) संजय कुमार सिंह ने कहीं. वे कोझिकोड स्थित आईसीएआर-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ स्वाइसेज रिसर्च (IISR) के एक प्रोग्राम में अपनी बात रख रहे थे.
मसालों और सुगंधित फसलों पर आधारित एक कार्यक्रम में बोलते हुए संजय कुमार सिंह ने कहा, मसाला इंडस्ट्री को बढ़ाने के लिए इनोवेशन और नई-नई तकनीकों को अपनाने पर जोर देना चाहिए. इन दोनों का सही इस्तेमाल किया जाए तो मसाला इंडस्ट्री की ग्रोथ तेज हो सकती है.
इस प्रोग्राम में आईआईएसआर के डायरेक्टर आर. दिनेश ने इस बात पर बल दिया कि मसाला इंडस्ट्री की चुनौतियों से निपटना बहुत जरूरी है ताकि विश्व बाजार में बड़ी मसाला कंपनियों से मुकाबला किया जा सके. दुनिया के बाजारों में भारतीय मसाले की मौजूदगी तभी बढ़ेगी जब चुनौतियों से निपटते हुए क्वालिटी वाले मसाले तैयार किए जाएं और उसका व्यापार बढ़ाया जाए. कोझिकोड के इस प्रोग्राम में 200 से अधिक प्रतिभागी हिस्सा ले रहे हैं जिनमें वैज्ञानिक, रिसर्चर, छात्र, किसान और उद्योगपति शामिल हैं.
इस प्रोग्राम में स्मार्ट फार्मिंग टेक्नोलॉजी की एक प्रदर्शनी भी लगाई गई. इसमें किसानों के लिए नई तकनीक दिखाई गई जिससे पता चल सके कि मसाले की खेती में कितनी एडवांस तकनीक मार्केट में आ गई है. केरल के कोझिकोड में चलने वाला यह प्रोग्राम 9 जनवरी तक चलेगा जिसमें किसान, वैज्ञानिक, एफपीओ और इंडस्ट्री के बीच संवाद होगा. ये सभी लोग एक दूसरे की राय जान सकेंगे और सलाह ले और दे सकेंगे. यह प्रोग्राम अंतिम दिन 9 जनवरी को रखा गया है.
हाल की एक रिपोर्ट बताती है कि भारत के मसालों का निर्यात बढ़ने की बहुत संभावनाएं हैं. आने वाले समय में इसमें तेजी देखी जाएगी. भारत का मसाला निर्यात 5 अरब डॉलर के टारगेट को हासिल कर सकता है. मसाला उद्योग ने खुद के लिए 2030 तक मसाला निर्यात का टारगेट 10 अरब डॉलर निर्धारित किया है. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए भारत को हर साल 150 लाख टन मसाले का उत्पादन करना होगा. इससे घरेलू और अंतरराष्ट्रीय मांग पूरी हो सकेगी.