जिला प्रशासन की मेहनत अब धरातल पर दिखने लगी है. हरियाणा के करनाल जिले में पराली जालने के मामले में गिरावट दर्ज की गई है. इस साल अभी तक जिले में पराली जलाने की महज 100 मामले ही सामने आए है. जबकि पिछले साल यह आंकड़ा इसी समान अवधि में 260 था. ऐसे में पराली जलाने के मामले में गिरावट आने से जिला प्रशासन ने राहत की सांस ली है. वहीं, कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि किसानों में जागरूका फैलाने की वजह से आकड़ें में गिरावट आई है. अब किसान समझदार हो गए हैं. वे पराली जलाने से होने वाले नुकसान के बारे में समझ चुके हैं.
खास बात यह है कि जिला प्रशासन लोगों को जागरुक करने के साथ- साथ पराली जलाने वालों के खिलाफ नानूनी कार्रवाई भी कर रहा है. अभी तक करनाल जिले में पराली जलाने वाले आरोपियों के ऊपर मोटा जुर्माना लगाया गया है. जिला प्रशासन का कहना है कि करनाल में पिछले साल के मुकाबले पराली जलाने के मामलों में भारी कमी दर्ज की गई है. पिछले साल 7 नवंबर तक 260 केस दर्ज किए गए थे, जबिक इस साल इसका आंकड़ा घट कर 100 पर पहुंच गया. यानी पिछले साल के मुकाबले इस साल अभी तक 160 मामले कम आए हैं. वहीं, पराली जलाने वाले आरोपियों से इस साल 2 लाख रुपए का जुर्माना वसूला गया है.
कृषि विभाग के अधिकारियों का दावा है कि आने वाले 3 से 4 सालों में पराली जलाने की घटना बिल्कुल खत्म हो जाएगी, क्योंकि किसान लगातार जागरूक हो रहे हैं. वे समझ रहे हैं कि पराली जलाने से भूमि की उर्वरा शक्ति कमजोर हो रही है. अधिकारियों की माने तो कृषि विभाग और प्रशासन जिले में माइक्रो लेवल पर जाकर फसल अवशेष प्रबंधन के प्रति किसानों को जागरूक कर रहा है. इसके लिए 360 अधिकारियों और कर्मचारियों को मिलाकर कई टीमें गठित की गई हैं.
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वहीं, कृषि विभाग द्वारा इस साल करीब 2 हजार मशीनों को किसानों में बाटे जाने का लक्ष्य पूरा हो गया है. इसके अलावा कुछ किसानों ने अपने स्तर पर फसल अवशेष प्रबंधन मशीनों को खरीदा है. जिनके बिल आने पर किसानों के खातों में सब्सिडी राशि भेज दी जाएगी. कृषि विभाग अधिकारी ने बताया कि आईसीयूएल द्वारा 6 डीपों बनाए गए हैं. 80 हजार एमटी बेल परचेज की जा चुकी है, जिसका रेट 1890 प्रति एमटी निर्धारित किया गया है. इससे किसानों को काफी फायदा पहुंच रहा है.