जीरे की पत्तियों पर सफेद चूर्ण दिखे तो हो जाएं सावधान, तुरंत करें इस दवा का छिड़काव

जीरे की पत्तियों पर सफेद चूर्ण दिखे तो हो जाएं सावधान, तुरंत करें इस दवा का छिड़काव

जीरा एक बेहतरीन एंटी-ऑक्सीडेंट है और सूजन को कम करने और मांसपेशियों को राहत पहुंचाने में भी कारगर है. इसमें फाइबर भी पाया जाता है और यह आयरन, कॉपर, कैल्शियम, पोटेशियम, मैंगनीज, जिंक और मैग्नीशियम जैसे खनिजों का भी अच्छा स्रोत है.

जीरे की फसल में लगने वाले रोगजीरे की फसल में लगने वाले रोग
प्राची वत्स
  • Noida,
  • Apr 02, 2024,
  • Updated Apr 02, 2024, 1:26 PM IST

Cumin Farming: जीरा प्रमुख मसाला बीज फसल है. देश का 80 प्रतिशत से अधिक जीरा गुजरात और राजस्थान राज्यों में उगाया जाता है. देश के कुल जीरे उत्पादन का लगभग 28 प्रतिशत उत्पादन राजस्थान में होता है और कुल जीरे का 80 प्रतिशत उत्पादन राज्य के पश्चिमी क्षेत्र में होता है, लेकिन इसकी औसत उपज (380 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर) पड़ोसी राज्य गुजरात से (550 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर) कम है . ऐसे में उन्नत तकनीकों का उपयोग करके जीरे की वर्तमान उपज को 25-50 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है. लेकिन कई रोग की वजह से जीरे की उपज (Cumin Farming) में हर साल गिरावट देखी जा रही है. वहीं अगर आप भी जीरे की खेती कर रहे हैं और आपको जीरे की पत्तियों पर सफेद चूर्ण दिखे तो आपको तुरंत इस दवा का छिड़काव करना चाहिए.

कई चीजों में होता है जीरे का इस्तेमाल

जीरा एक बेहतरीन एंटी-ऑक्सीडेंट है और सूजन को कम करने और मांसपेशियों को राहत पहुंचाने में भी कारगर है. इसमें फाइबर भी पाया जाता है और यह आयरन, कॉपर, कैल्शियम, पोटेशियम, मैंगनीज, जिंक और मैग्नीशियम जैसे खनिजों का भी अच्छा स्रोत है. इसमें विटामिन ई, ए, सी और बी-कॉम्प्लेक्स जैसे विटामिन भी काफी मात्रा में पाए जाते हैं. इसलिए आयुर्वेद में इसका उपयोग स्वास्थ्य की दृष्टि से अच्छा माना जाता है. 

ये भी पढ़ें: इस साल गुजरात और राजस्थान में जीरे का होगा बंपर उत्पादन, क्या कीमतों में आएगी गिरावट?

क्या है छाछ्‌या रोग और इसके लक्षण

छाछ्‌या रोग का प्रकोप होने पर पौधों की पत्तियों पर सफेद पाउडर दिखाई देने लगता है. यदि रोग की रोकथाम न की जाए तो चूर्ण की मात्रा बढ़ जाती है. यदि रोग जल्दी हो गया हो तो बीज नहीं बनते हैं. नियंत्रण के लिए सल्फर पाउडर 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़कें या घुलनशील सल्फर पाउडर 2.5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़कें या डिनोकैप एलसी एक मिलीलीटर प्रति लीटर पानी की दर से घोलकर छिड़काव करें. आवश्यकतानुसार 10-15 दिनों के अंतराल पर छिड़काव/फरोइंग का छिड़काव दोहराएं.

जीरे की उन्नत किस्में और विशेषताएं

  • आर जेड-19: जीरे की यह किस्म 120-125 दिन में पक जाती है. इससे प्रति हेक्टेयर 9-11 क्विंटल तक उत्पादन मिलता है. इस किस्म में स्कैब, खसरा और ब्लाइट जैसी बीमारियां कम होती हैं.
  • आर जेड- 209: यह किस्म भी 120-125 दिन में पक जाती है. इसके दाने मोटे होते हैं. यह किस्म प्रति हेक्टेयर 7-8 क्विंटल उपज देती है. इस किस्म में खुजली और झुलसा रोग का प्रकोप भी कम होता है.
  • जीसी-4: जीरे की यह किस्म 105-110 दिन में पक जाती है. इसके बीज बड़े आकार के होते हैं. इससे 7-9 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है. यह किस्म उखटा रोग के प्रति संवेदनशील है.
  • आर जेड- 223: यह किस्म 110-115 दिन में पक जाती है. जीरे की इस किस्म से 6-8 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है. यह किस्म उखटा रोग के प्रति प्रतिरोधी है. बीज में तेल की मात्रा 3.25 प्रतिशत होती है.

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