किसानों को मिल रहे रिकॉर्ड भाव के बीच कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएआई) ने सीजन-2022-23 के लिए कपास की फसल का अपना नवंबर का अनुमान जारी कर दिया है. एक अक्टूबर-2022 से शुरू हुए सीजन के लिए सीएआई ने कपास उत्पादन के अनुमान को 4.25 लाख गांठ (1 गांठ=170 किलोग्राम) घटाकर अब 339.75 लाख कर दिया है. हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में कपास उत्पादन में कमी को देखते हुए यह अनुमान जारी किया गया है.
सीएआई की फसल समिति की 19 दिसंबर को एक बैठक हुई. इसमें देश के विभिन्न कपास उत्पादक क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले 25 सदस्यों ने शिरकत की. समिति ने सीजन-2022-23 के लिए विभिन्न व्यापार स्रोतों, ग्रामीण संघों और इससे जुड़े अन्य लोगों से उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर अनुमानित कपास बैलेंस शीट तैयार की. जिसके मुताबिक पंजाब में कपास का उत्पादन 0.75, हरियाणा में 1.00, राजस्थान में 0.5, आंध्र प्रदेश में 1.00 और कर्नाटक में 1.00 लाख गांठ कम होने का अनुमान लगाया गया.
बाद के महीनों में भी कपास के उत्पादन और आवक पर समिति के सदस्यों की कड़ी नजर होगी. यदि उत्पादन अनुमान में कोई वृद्धि या कमी करने की आवश्यकता है, तो उसे सीएआई अपनी रिपोर्ट में बताएगा. राज्यवार उत्पादन को देखें तो गुजरात इस वक्त कपास का सबसे बड़ा उत्पादक है. यहां 93.50 लाख गांठ उत्पादन का अनुमान है. जबकि महाराष्ट्र दूसरा बड़ा उत्पादक है. यहां 84.50 लाख गांठ, तेलंगाना में 45.00 लाख गांठ और कर्नाटक में 24.00 लाख गांठ उत्पादन अनुमानित है. मध्य प्रदेश में 20.00 लाख गांठ, राजस्थान में 28.00 और हरियाणा में 13.50 लाख उत्पादन का अनुमान लगाया गया है.
कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने इस सीजन के लिए घरेलू खपत 300 लाख गांठ होने का अनुमान है. पिछले वर्ष की खपत 318 लाख गांठ थी. जबकि, एक्सपोर्ट 30 लाख गांठ होने का अनुमान है. अक्टूबर और नवंबर-2022 के महीनों के लिए कपास की खपत 40 लाख गांठ होने का अनुमान लगाया है. जबकि, इन दोनों महीनों के लिए कुल कपास की आपूर्ति 84.68 लाख गांठ होने का अनुमान लगाया गया है. इस साल कपास का आयात घटने का अनुमान है. इस बार यह 12 लाख गांठ रहने का अनुमान है. पिछले साल यानी 2021-22 में यह 14 लाख गांठ था.
इस साल किसानों को कॉटन का अच्छा दाम मिल रहा है. भाव 9000 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया है. किसान 12 से 13 हजार रुपये तक की ऊंचाई पर दाम पहुंचने की उम्मीद कर रहे हैं. लेकिन इससे टेक्सटाइल इंडस्ट्री परेशान है. पीक आवक सीजन के दौरान कपास के ऊंचे भाव के कारण टेक्सटाइल इंडस्ट्री अभी अपनी मौजूदा क्षमता का सिर्फ 40-50 फीसदी ही परिचालन कर पा रही है. बता दें कि देश में 280 से 290 लाख गांठ कपास की खपत अकेले मिलों में होती है.
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