Crop disease: महाराष्ट्र में केले की खेती पर सीएमवी वायरस का अटैक, संकट में क‍िसान 

Crop disease: महाराष्ट्र में केले की खेती पर सीएमवी वायरस का अटैक, संकट में क‍िसान 

नंदुरबार और जलगांव जिलों में सीएमवी वायरस प्रकोप केले की खेती में लगातार बढ़ रहा है. यह बात सामने आई है कि किसान सैकड़ों एकड़ में लगी केले की फसल को उखाड़ द‍िया है ताक‍ि यह वायरस बचे हुए खेतों में न फैले.

केले के पौधों पर बढ़ा सीएमवी रोग का अटैककेले के पौधों पर बढ़ा सीएमवी रोग का अटैक
सर‍िता शर्मा
  • Jalgaon,
  • Sep 28, 2023,
  • Updated Sep 28, 2023, 1:35 PM IST

देश के महत्वपूर्ण केला उत्पादक प्रदेश महाराष्ट्र में इस बार क‍िसान संकट में हैं. केले की फसल तबाह होने की कगार पर है. उत्तरी महाराष्ट्र में बड़ी मात्रा में केला उगाया जाता है. यहां के जलगांव और नंदुरबार जिलों में केले के बागों में सीएमवी (साइटोमेगालो) वायरस बढ़ गया है. ज‍िससे केले की फसल खराब हो रही है. सैकड़ों हेक्टेयर खेती इस वायरस की चपेट में आ गई है. वैज्ञान‍िकों की सलाह के मुताब‍िक प्रभावित पेड़ों को उखाड़कर क‍िसान बाहर न‍िकाल रहे हैं. पहले क‍िसानों को उच‍ित दाम नहीं म‍िला और अब उनकी फसल पर रोग की मार पड़ी है. अगर ऐसी ही स्थ‍ित‍ि रही तो अगले सीजन में केले की आवक कम हो जाएगी. ज‍िससे दाम बढ़ने की आशंका है.  

इस वायरस से केले की पत्तियों की नसों में पीली रेखाएं बनती हैं. रोगग्रस्त हिस्से पर चमकदार धब्बे दिखाई देते हैं. रोग का प्रकोप होने पर पौधे का विकास नहीं होता है. कृष‍ि वैज्ञान‍िकों के अनुसार सबसे पहले रोगग्रस्त पौधों को उखाड़कर जला देना या मिट्टी में दबा देना चाह‍िए. ताक‍ि दूसरे खेतों में उसका प्रसार रुक जाए. अगर इस वायरस से प्रभाव‍ित पौधा खेत में रहेगा तो दूसरे पौधों तक भी आसानी से यह वायरस पहुंच जाता है.

करोड़ों का नुकसान

उत्तरी महाराष्ट्र को देश में सबसे बड़े केला उत्पादक क्षेत्र के रूप में जाना जाता है. यहां हर साल कुछ केला किसानों को कुछ कारणों से समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. पिछले साल केले की फसल पर बड़े पैमाने पर सीएमवी यानी ककड़ी मोज़ेक वायरस के प्रकोप के कारण केला किसानों को करोड़ों रुपये की आर्थिक क्षति हुई थी. इस साल एक बार फिर नंदुरबार और जलगांव जिलों में सीएमवी वायरस की घटनाएं बढ़ गईं. यह बात सामने आई है कि किसान सैकड़ों एकड़ में लगी केले की फसल को उखाड़ रहे हैं. एक माह से हो रही बारिश और बीमारियों के प्रकोप से किसान संकट में हैं.

ये भी पढ़ें: Sugarcane Price: क‍िसानों के आक्रोश से गन्ना ब‍िक्री मामले में बैकफुट पर सरकार, वापस हुआ फैसला

किसान ने बताई अपनी आपबीती 

 किसान संकट में है क्योंकि केले की फसल में किसानों द्वारा खर्च किया गया पैसा भी नहीं मिलेगा. किसान अमित पाटिल अपनी चार एकड़ में केले की फसल के लिए अब तक लाखों रुपये खर्च कर चुके हैं,लेकिन इस केले पर लगे रोग के कारण ऐसी स्थिति है कि उत्पादन लागत भी नहीं निकलेगी. पाटिल का कहना है कि पिछले साल भी इस समय  सीएमवी रोग का हमला फसलों पर हुआ था लेकिन अब तक इसका कोई समाधान नहीं निकल पाया है. जलगांव जिले में किसान सबसे ज्यादा केले की खेती पर निर्भय रहते हैं.  किसानों का कहना हैं कि   राजनीतिक नेताओं को किसानों के मुद्दे पर बात करनी चाहिए,हर साल केला उत्पादक किसानों को कर्ज या फसलों पर विभिन्न बीमारियों से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.केले पर शोध के लिए अत्याधुनिक अनुसंधान केंद्र की जरूरत है. 

जलगांव और नंदुरबार जिले में केले का बड़ा क्षेत्र

जलगांव के साथ-साथ नंदुरबार,धुले सोलापुर जैसे जिलों में बड़े पैमाने पर केले की फसल पैदा होती है.लेकिन इस साल बेमौसम बारिश से बागों को भारी नुकसान हुआ बारिश के साथ तूफ़ान इतना भयंकर था कि सैकड़ों हेक्टेयर केले के बागान नष्ट हो गये. वहीं अब बागों पर सीएमवी यानी ककड़ी मोज़ेक वायरस के प्रकोप के करण किसानों द्वारा खून-पसीने से सींचकर तैयार किये गये केले फसल नष्ट हो रहे हैं.

ये भी पढ़ें: Benefits of Mushrooms: खेती के बारे में बहुत सुना होगा आपने, अब मशरूम के फायदों को भी जान लीज‍िए

 

MORE NEWS

Read more!