केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) के तहत लाभार्थियों को मिलने वाले गेहूं के आवंटन को आंशिक रूप से बहाल करने का फैसला किया है. सरकार की तरफ से दो साल पहले फसल की कम पैदावार के चलते गेहूं के कोटे में कटौती की थी और इसकी जगह चावल की मात्रा बढ़ा दी गई थी. पीएमजीकेएवाई को दुनिया की सबसे बड़ी सोशल वेलफेयर स्कीम माना जाता है. इसके तहत 800 मिलियन से ज्यादा गरीब लोगों को हर महीने पांच किलो मुफ्त खाद्यान्न मिलता है.
अखबार बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के अनुसार यह कदम अगले महीने से लागू किया जाएगा. साथ ही इसे विधानसभा चुनावों से पहले कीमतों पर नियंत्रण लगाने की एक और कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है. फूड सेक्रेटरी संजीव चोपड़ा ने मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के 100 दिनों की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए इसका जिक्र किया. उन्होंने कहा कि मंत्रियों की एक समिति ने पीएमजीकेएवाई के तहत अतिरिक्त 35 लाख टन गेहूं को मंजूरी दी है.
चोपड़ा ने कहा कि यह फैसला मार्च 2025 तक लागू रहेगा. इससे योजना के तहत गेहूं-चावल अनुपात को बहाल करने के प्रयास किए जा सकेंगे. यह पूछे जाने पर कि क्या इस बढ़ी हुई मात्रा से गेहूं-चावल का अनुपात बहाल हो जाएगा, उन्होंने कहा, 'यह अभी भी सामान्य मात्रा से 1-2 मिलियन टन कम होगा.' चोपड़ा ने यह भी कहा कि आने वाले समय में प्रमुख घटनाक्रमों के आधार पर आवंटन की समीक्षा की जा सकती है.
मई 2022 में, सरकार ने कम घरेलू उत्पादन के चलते कम सप्लाई की वजह से पीएमजीकेएवाई के तहत गेहूं आवंटन को 18.2 मिलियन टन से घटाकर 7.1 मिलियन टन कर दिया था. साथ ही चावल आवंटन को बढ़ा दिया था. चोपड़ा ने पिछले साल के 112.9 मिलियन टन के बंपर उत्पादन का हवाला देते हुए वर्तमान 'पर्याप्त गेहूं' उपलब्धता पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा, ' कंजर्वेटिव इंडस्ट्री अनुमानों के अनुसार भी, यह पिछले साल की तुलना में कम से कम 4-5 मिलियन टन ज्यादा था.'
पिछले साल 112.9 मिलियन टन के वास्तविक उत्पादन के मुकाबले सरकार की खरीद 26.6 मिलियन टन है. चोपड़ा ने कहा कि गेहूं और गेहूं उत्पाद की कीमतों में स्थिरता को देखते हुए ओपन मार्केट सेल स्कीम (ओएमएसएस) के तहत गेहूं बेचने की तत्काल कोई योजना नहीं है. हालांकि, उन्होंने भविष्य में ओएमएसएस की बिक्री से इनकार नहीं किया.
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