बैंगन एक ऐसी सब्ज़ी है, जो सिर्फ़ दो महीने में तैयार हो जाती है. यानी किसान दो महीने में ही कमाई करना शुरू कर देते हैं. इसकी अच्छी किस्मों की खेती से किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. इसकी कुछ ऐसी किस्में हैं, जिसमें न कीट लगते हैं और न ही रोग होता है. इन किस्मों की खेती से किसान अच्छा उत्पादन और मुनाफा दोनों ले सकते हैं. इसके लिए किसानों को अधिकतम पैदावार देने वाली अपने क्षेत्र की प्रचलित किस्मों का चयन करना आवश्यक है.
क्योंकि बैंगन की खेती एक व्यवसाय के रूप में अपना स्थान रखती है. इसकी खेती पूरे साल की जा सकती हैं. बैग एक ऐसी सब्जी है जिसकी मांग हमेशा बजार में बनी रहती है ऐसे में किसानो के लिए फायदे का सौदा है बैंगन की खेती.
इस बैंगन की संकर किस्म के पौधे मध्यम सीधे खडे रहने वाले होते हैं. फल गोल, चमकदार, आकर्षक बैंगनी रंग के होते है, प्रत्येक फल का वजन लगभग 200 ग्राम होता है. बुआई से पहली गुड़ाई में 85 से 90 दिन लगते है. पैदावार 40 से 60 टन प्रति हेक्टेअर है.
बैंगन की इस हाइब्रिड किस्म की पैदावार अच्छी होती है. इसके पौधे करीब 70-80 सेंटीमीटर लंबे होते हैं. इसके फल माध्यम आकार के चमकदार बैंगनी रंग के होते हैं. एक बैंगन का वजन करीब 150-200 ग्राम होता है। प्रति हेक्टेयर करीब 700-750 क्विंटल उपज प्राप्त हो सकती है. बुवाई का उपयुक्त समय अगस्त-सितंबर के बीच रहता है. कटाई रोपण के 55 -60 दिनों बाद होती है.
इस किस्म के बैंगन के पौधों की लंबाई 60-70 सेंटीमीटर होती है. इसमें शाखाएं अधिक होती है और पत्तियां चौड़ी होती हैं. इसके फल अंडाकार और सफेद रंग के होते हैं. बैंगन की यह किस्म भरता बनाने के लिए अच्छी मानी जाती है. प्रति हेक्टेयर उत्पादन 550-600 क्विंटल तक होता है. पहली कटाई रोपण के 55-60 दिन बाद होती है. बिहार, झारखंड और आसपास के क्षेत्रों के लिए ये किस्म सबसे उपयुक्त है.
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इस बैंगन की संकर किस्म के पौधे सीधे खडे रहने वाले होते हैं. फल अण्डाकार गोल, चमकदार बैंगनी रंग के होते हैं. प्रत्येक फल का वजन लगभग 300 ग्राम होता है. बुआई के पहली तुडाई में 85 से 90 दिन लगते है. गुजरात और महाराष्ट्र क्षेत्र के लिए उपयुक्त है. इसकी औसत पैदावार 50 टन प्रति हेक्टेअर है.
इस बैंगन की संकर किस्म के फल गोल, चमकीले बैंगनी रंग के होते है, और बाह्य पुंजदल हरे रंग का होता है. गुदा अधिक, बीज कम होते है, सब्जी अत्यंत स्वादिष्ट बनती है. फल का औसत वजन 350 से 400 ग्राम होता है.यह प्रति हेक्टेयर 63 से 65 टन तक पैदावार दे देती है.
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