बासमती चावल के न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) में कमी किए जाने के बाद बासमती धान की कीमतें बढ़नी शुरू हो गई हैं. इसका किसानों को फायदा मिलने लगा है. व्यापार और बाजार सूत्रों ने कहा है कि इससे 2023-24 में उम्मीद से कम फसल की चिंता के बीच निर्यात फिर से शुरू करने में मदद मिलेगी. कीमतों में सुधार से किसानों को लाभ हो रहा है. हालांकि उत्पादन में गिरावट की खबरें अब भी उनके लिए चिंता का कारण बनी हुई हैं. ऊंचे एमईपी के कारण पिछले दो महीने तक एक्सपोर्टरों और किसानों दोनों को नुकसान हुआ है. कुछ मंडियों में व्यापार ठप हो गया था, क्योंकि निर्यातकों ने किसानों से खरीदारी बंद कर दी थी.
एमईपी में कटौती का निर्णय निर्यातकों, सरकार और किसानों के लिए फायदे का सौदा रहा है. जहां एक ओर इसने निर्यात को फिर से शुरू कर दिया है, जो 1200 डॉलर प्रति टन की एमईपी के कारण रुक गया था, वहीं दूसरी ओर, इसने निर्यात को फिर से शुरू कर दिया है. अब सरकार ने बासमती चावल का एमईपी 950 डॉलर प्रति टन कर दिया है. इसके बाद बासमती धान की खरीद तेज हुई है और कीमतें 4000 से 5000 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गई हैं. जब एमईपी 1200 डॉलर प्रति टन था तो धान की कीमतें 3000 रुपये प्रति क्विंटल तक रह गई थीं, जिससे किसान परेशान थे. फिलहाल, अक्टूबर महीने के अंत से ही सरकार ने 950 डॉलर प्रति टन की एमईपी पर एक्सपोर्ट के लिए चावल की बुकिंग शुरू कर दी है.
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राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष विजय सेतिया ने बताया कि भारत में बासमती का उत्पादन 8-8.5 मिलियन टन होने का अनुमान है, जिसमें से आधे से अधिक का सालाना निर्यात किया जाता है. साल 23 में भारत ने लगभग 17.8 मिलियन टन गैर-बासमती चावल और 4.6 मिलियन टन बासमती चावल का निर्यात किया था. गैर-बासमती चावल निर्यात में से 7.8-8 मिलियन टन उबले हुए चावल थे. अल नीनो के कारण उत्पादन में अपेक्षित गिरावट के कारण वैश्विक स्तर पर चावल की कीमतें बढ़ गई हैं. एशियाई देशों में उत्पादन सबसे बुरी तरह प्रभावित हुआ है.
उधर, संयुक्त राष्ट्र के कृषि निकाय ने "फसल संभावनाएं और खाद्य स्थिति" नामक रिपोर्ट में कहा है कि 2023-24 मार्केटिंग सत्र (सितंबर-अगस्त) के अंत में विश्व चावल भंडार में 1.5 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है. हालांकि, इस वृद्धि का अधिकांश हिस्सा भारत में होने की परिकल्पना की गई है. अन्य सभी प्रमुख चावल निर्यातकों के स्टॉक में गिरावट आई है. सितंबर 2022 से चावल शिपमेंट पर भारत द्वारा लगाए गए विभिन्न प्रतिबंधों के मद्देनजर भारतीय निर्यात कम होगा. सरकार ने सितंबर 2022 में टूटे चावल के शिपमेंट पर प्रतिबंध लगा दिया, जबकि इस साल जुलाई में सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया.
इसने 26 अगस्त से उबले चावल पर 20 प्रतिशत शुल्क लगाया है और बासमती शिपमेंट के लिए न्यूनतम निर्यात मूल्य 950 डॉलर प्रति टन तय किया है. खराब मौसम के कारण धान की फसल प्रभावित होने के मद्देनजर देश में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ये कदम उठाए गए हैं. इस बीच कृषि मंत्रालय ने 112 मिलियन टन के लक्ष्य के मुकाबले 106.31 मिलियन टन चावल उत्पादन का अनुमान लगाया है.
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