'केमिकल खाद और कीटनाशकों ने पंजाब को कैंसर जोन में बदला', धान के खिलाफ संसद में उठी आवाज 

'केमिकल खाद और कीटनाशकों ने पंजाब को कैंसर जोन में बदला', धान के खिलाफ संसद में उठी आवाज 

सोमवार से संसद के मॉनसून सत्र का आगाज हुआ है. इस दौरान राज्‍यसभा में आम आदमी पार्टी (आप) के सांसद बाबा बलबीर सिंह सींचेवाल ने धान की फसल को लेकर कई बातें कहीं. उन्‍होंने यहां पर पंजाब के किसानों को धान की फसल बोने के क्रम से बाहर करने का जिक्र किया. उनका कहना था कि यह फसल राज्‍य की जलवायु के अनुकूल नहीं है. उन्‍होंने कहा कि राज्‍य ने हरित क्रांति की एक बड़ी कीमत अदा की है.

राज्‍यसभा सांसद बोले पंजाब के किसानों पर थोपी गई धान की खेती  राज्‍यसभा सांसद बोले पंजाब के किसानों पर थोपी गई धान की खेती
क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Jul 23, 2024,
  • Updated Jul 23, 2024, 5:47 PM IST

सोमवार से संसद के मॉनसून सत्र का आगाज हुआ है. इस दौरान राज्‍यसभा में आम आदमी पार्टी (आप) के सांसद बाबा बलबीर सिंह सींचेवाल ने धान की फसल को लेकर कई बातें कहीं. उन्‍होंने यहां पर पंजाब के किसानों को धान की फसल बोने के क्रम से बाहर करने का जिक्र किया. उनका कहना था कि यह फसल राज्‍य की जलवायु के अनुकूल नहीं है. उन्‍होंने कहा कि राज्‍य ने हरित क्रांति की एक बड़ी कीमत अदा की है. उनकी मानें तो पंजाब के किसानों पर धान की खेती को थोप दिया गया है. 

राज्‍य ने चुकाई बड़ी कीमत 

सींचेवाल ने विशेषतौर पर जिक्र किया और कहा कि राज्‍य में ऐसे किसान हैं जो कड़ी मेहनत करते हैं और यहां के खेतिहर किसानों ने देश के अन्‍न भंडार भर दिए हैं. लेकिन साथ ही साथ राज्‍य को हरित क्रांति की एक बड़ी कीमत अदा करनी पड़ी है. पर्यावरण के लिए लड़ाई लड़ने वाले सींचेवाल ने कहा कि रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के बहुत ज्‍यादा प्रयोग ने एक समृद्ध राज्य को कैंसर जोन में तब्‍दील कर दिया है. उनका कहना था कि पंजाब धान की फसल के चक्र में इतनी गहराई से फंसा हुआ है कि हर साल इसका क्षेत्रफल बढ़ता जा रहा है. इस अतिरिक्त दबाव के कारण भूजल स्तर में तेजी से गिरावट आ रही है. 

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1973 से थोप दी गई धान की खेती 

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने केंद्रीय अनाज भंडारण जरूरतों को पूरा करने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) नीति अपनाई, जिसने 1973 से पंजाब के किसानों पर धान की फसल थोपी है. सींचेवाल ने बताया कि किस तरह धान की बुआई के दौरान वॉटर स्‍टोरेज पर असर पड़ता है और बाद में हर साल भूसे के प्रबंधन की चुनौती पैदा होती है. उनका कहना था कि फसल अवशेषों को खत्‍म करने के लिए खेतों में लगाई जाने वाली आग से निकलने वाले धुएं के कारण घातक सड़क दुर्घटनाएं होती हैं. 

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धान की वजह से कर्ज में किसान 

केंद्रीय भूजल बोर्ड की रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने दावा किया कि 2039 तक पंजाब का ग्राउंड वॉटर 1,000 फीट की गहराई तक गिर जाएगा, जिससे खेती असंभव हो जाएगी.  इस बात पर कि यह फसल राज्य के लिए क्‍यों सही नहीं है, उन्होंने कहा कि इसके खेतों को पहले पानी से भरना होगा. इससे तीन-चौथाई से अधिक ब्लॉकों में वॉटर लेवल खतरनाक स्तर तक गिर गया है. उन्होंने कहा, 'अब पंजाब सबमर्सिबल पंपों के बिना अपने खेतों की सिंचाई नहीं कर सकता है. इन्‍हें लगाने के चक्‍कर में किसान कर्ज में डूब गए हैं.' इसके बाद उन्होंने राज्य के किसानों और खेत मजदूरों के लिए कर्ज माफी की वकालत की. 

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