PHOTOS: मीठे पानी की सब्ज़ियों की बढ़ी मांग, चार-पांच लाख रुपये सालाना कमा रहे किसान

फसलें

PHOTOS: मीठे पानी की सब्ज़ियों की बढ़ी मांग, चार-पांच लाख रुपये सालाना कमा रहे किसान

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मीठे पानी और जैविक खाद में उगाई जाने वाली सब्जियों की मांग बढ़ गई है. लोग ऐसी सब्जियों की खूब डिमांड कर रहे हैं. राजस्थान के भीलवाड़ा ज़िले में इन दिनों सवाईपुर के किसान ऐसी सब्जी उगाकर अच्छी कमाई कर रहे हैं. किसान ऐसी सब्जियों से सालाना चार से पांच लाख रुपये तक कमा रहे हैं.

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मीठे पानी और जैविक खाद की सब्ज़ियों की मांग इतनी बढ़ गई है कि ग्राहक इन सब्ज़ियों का इंतज़ार करने लगे हैं. बढ़ी मांग का नतीजा है कि किसान केवल आधा बीघा ज़मीन में इन सब्ज़ियों की पैदावार से रोज़ाना एक से डेढ़ हज़ार और सालाना चार से पांच लाख रुपये कमाने लगे हैं.

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इन किसानों की उगाई सब्ज़ियों का शहरवासी इंतजार करते हैं. सब्जी उगाने वाले किसान और उसे इस्तेमाल करने वाले लोगों का कहना है कि मीठे पानी और जैविक खाद से उगाई गई इन सब्जियों का स्वाद ही अलग है. ऐसा स्वाद उन सब्जियों में नहीं मिलता जिनमें रासायनिक खाद डाला जाता है.

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इस खास खेती के बारे में किसान सत्यनारायण माली और इनके सहयोगी किसान कालू माली ने बताया कि दस बिस्वा खेत में ही अच्छी कमाई होने लगी है. वे कहते हैं, इस खेत में तीन से चार बार ट्रैक्टर से जुताई कर चार ट्रॉली देशी खाद डालने के बाद फिर से जुताई कर एक-एक फिट की दूरी पर सब्जियों के बीज डाले जाते हैं.

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सब्जियों के बीज लगाने के लिए एक छोर से दूसरे छोर तक लंबाई में क्यारियां बनाई जाती हैं. इन तैयार क्यारियों में भिंडी एक फिट की दूरी पर, इसी में दस फीट की दूरी पर लौकी के बीज की बुआई की जाती है. खेत के चारों ओर मेंढ़ के सहारे दस-दस फीट दूरी पर कद्दू की बुआई की गई. एक बिस्वा ग्वारफली की सब्जी अलग से बुआई की गई.

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बुआई के बाद इन सब्जियों की तीन से चार बार निराई-गुड़ाई की जाती है. 45 से 50 दिन बाद भिंडी लगना शुरू होती है जो चार महीने तक तक उत्पादन देती है. भिंडी 30 रुपये प्रति किलो, लौकी 20 रुपये, ग्वारफली 10 रुपये और कद्दू 20 से 30 रुपये किलो आराम से बिक जाता है. किसान कहते हैं कि इन सब्जियों को बेचकर वे हर दिन डेढ़ हज़ार रुपये का मुनाफ़ा कमा लेते हैं.

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इन सब्जियो में एक दिन के अंतराल पर सिंचाई करना अनिवार्य होता है. खेत पर लगे सोलर प्लांट से बिजली पैदा होती है. खेत में ही पांच सौ मीटर की दूरी पर लगे ट्यूबवेल से सिंचाई की जाती है. सुबह जल्दी से सब्जियों की तुड़ाई शुरू की जाती है. दोपहर तक इन सब्ज़ियों को खेत से तोड़ कर भीलवाड़ा सब्ज़ी मंडी में लाकर सीधे ग्राहक को बेच दिया जाता है. यहां कई ग्राहक घंटों इन सब्जियों का इंतजार करते हैं.

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एक किसान कहते हैं, आधा बीघा यानी दस बिस्वा खेत में उगाई गई सब्जी से चार महीने तक हर दिन 2000 रुपये से 3000 रुपये की आराम से बिक्री होती है. खर्चा निकालकर एक से डेढ़ हज़ार रुपये प्रतिदिन यानी सालाना चार से पांच लाख की आमदनी हो जाती है. इससे किसानों की आमदनी तो बढ़ ही रही है, लोगों को स्वादिष्ट सब्जियां भी मिल रही हैं.(प्रमोद तिवारी की रिपोर्ट)