पंजाब में नवंबर महीने का आगाज इस सीजन की अब तक की एक दिन में सबसे अधिक पराली जलाने की घटनाओं के साथ हुआ है. 1 नवंबर को यहां खेतों में आग पराली जलाने की 587 घटनाएं सामने आईं. अक्टूबर महीने के आखिरी दिन और नवंबर की पहली तारीख को दिवाली के मौके पर पटाखों से हुए प्रदूषण और अब इन पराली जलाने की घटनाओं से हवा पर दोहरा दुष्प्रभाव पड़ा है. यही वजह है कि अमृतसर में एयर क्वालिट इंडेक्स (AQI) 352 पहुंच गया, जो स्वास्थ्य के लिए काफी खतरनाक है.
'दि ट्रिब्यून' की रिपोर्ट के अनुसार, अमृतसर में 31 अक्टूबर को रात 8 बजे AQI 160 दर्ज किया गया था, जो 1 नवंबर को दोपहर में 'बहुत खराब' की श्रेणी में 352 के स्तर पर पहुंच गया. बठिंडा में AQI 109 दर्ज किया गया. 31 अक्टूबर की रात पटाखे से हुए प्रदूषण के चलते मंडी गोबिंदगढ़ में 264, लुधियाना में 206, जालंधर में 227, पटियाला में 247 एक्यूआई दर्ज किया गया जो 'खराब' श्रेणी में आता है. ठीक इसके अगले दिन भी हवा की क्वालिटी इतनी ही खराब दर्ज की गई.
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मशीन की सहायता से पराली का प्रबंधन करने पर लागत बढ़ जाती है. ऐसे में छोटे किसान आग जलाकर इससे छुटकारा पाते हैं, जिससे जमीन को भी काफी नुकसान पहुंचता है. राज्य में अब तक पराली जलाने की कुल 3,537 घटनाएं दर्ज की गईं हैं. इनमें से पिछले दो दिनों में 1,071 आग जलाने की घटनाएं हुईं हैं. गुरुवार को पराली जलाने की 484 घटनाएं सामने आईं थीं.
शुक्रवार को संगरूर में 79, फिरोजपुर में 70, तरनतारन में 59, मानसा में 47, कपूरथला में 43 और पटियाला और अमृतसर में 40-40 पराली जलाने की घटनाएं दर्ज की गईं. इसके पहले अक्टूबर के दूसरे हफ्ते में पराली जलाने की घटनाओं में बढ़ोतरी देखी गई थी.
पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, आने वाले कुछ दिनों में खेतों में पराली जलाने की घटनाओं में और बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है. दरअसल, 1 नवंबर से 15 नवंबर का समय गेहूं की बुवाई के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है. ऐसे में किसान पिछली फसल खासकर धान के अवशेष (पराली) के निपटान के लिए आग लगा सकते हैं.
बता दें कि पिछले कुछ सालों में कई राज्यों में पराली जलाने की घटनाओं में कमी दर्ज की गई है. इसके पीछे सुप्रीम कोर्ट के आदेश और सरकारों की सख्ती भी एक वजह है. पराली प्रबंधन के लिए प्रोत्साहन राशि भी दी जाती है, जिससे किसानों को थोड़ी मदद मिलती है.