पंजाब में धान खरीदी जारी है. किसानों का कहना है कि गोदाम खाली न होने और ट्रांसपोर्ट साधनों की कमी जैसी समस्याओं के कारण सरकारी खरीदी धीमी गति से हो रही है. इसपर केंद्रीय रेल एवं खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने इस पर स्पष्टीकरण दिया है. रवनीत सिंह बिट्टू ने रविवार को कहा कि पंजाब के (अनाज) खाद्यान्न परिवहन के लिए किए ठोस कदम उठाए गए है, जिसके बाद 24 अक्टूबर तक 95 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) अनाज उठाया जा चुका है. वहीं अब अगर कहीं जरूरत पड़ी तो गेहूं की जगह धान का भंडारण किया जा सकेगा.
अप्रैल से अक्टूबर तक 2,684 समर्पित रेक मूवमेंट के माध्यम से 95.16 एलएमटी धान और गेहूं ट्रांसपोर्ट किया जा चुका है, जिसकी वजह से पंजाब में एक्स्ट्रा स्टोरेज कैपिसिटी खाली हुई है. पंजाब में धान की खरीद, प्रबंधन और भंडारण जैसे मुद्दों को लेकर केंद्रीय मंत्री ने भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के अधिकारियों के साथ एक हाई लेवल मीटिंग की. बैठक में पंजाब एफसीआई के महाप्रबंधक बी श्रीनिवासन भी मौजूद थे. अधिकारियों ने मंत्री को धान खरीद और भंडारण को लेकर अपडेट दिया.
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'दि ट्रिब्यून' की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्रीय मंत्री ने अनुमान बताया कि इस सीजन में पंजाब में धान उत्पादन 212 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) तक पहुंचेगा, जिसमें से लगभग 49.88 एलएमटी धान खरीदा जा चुका है. वर्तमान में राज्य में एफसीआई के स्वामित्व वाली 34.34 एलएमटी भंडारण क्षमता और अतिरिक्त 99.23 एलएमटी किराए की क्षमता को मिलाकर टोटल स्टोरेज क्षमता 133.57 एलएमटी है. वहीं अभी 116.2 लाख मीट्रिक टन चावल और 58.07 लाख मीट्रिक टन गेहूं (कुल 174.27 लाख मीट्रिक टन) का भंडारण कर रखा गया है.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस बार जरूरत पड़ने पर गेहूं की जगह धान के भंडारण की अनुमति दी गई है. पहले धान और गेहूं की भंडारण क्षमता का आवंटन अलग-अलग होता था. किसानों को उपज का वाजिब और समय पर मेहनताना देने के लिए एमएसपी भुगतान के लिए 44,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं.
दिड़बा से आप विधायक और पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने रविवार को स्थानीय अनाज मंडी के दौरे पर पहुंच गए, जहां उन्होंने धान खरीद प्रक्रिया का जायजा लिया. मंत्री ने संबंधित अधिकारियों को धान की खरीद और उठान समय पर करने के निर्देश दिए और तय समय पर किसानों को भुगतान करने के लिए भी कहा. साथ ही मंत्री ने यह भी कहा कि राज्य सरकार ने जीएसटी विभाग को निर्देश दिए हैं कि किसी न किसी बहाने व्यापारियों को परेशान न किया जाए.