PHOTOS: तुलसी की खेती से महाराष्ट्र के पंढरपुर का गहरा है र‍िश्ता

फसलें

PHOTOS: तुलसी की खेती से महाराष्ट्र के पंढरपुर का गहरा है र‍िश्ता

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 महाराष्ट्र के आराध्य पंढरपूर के भगवान विट्ठल को विष्णु जी का अवतार कहा जाता है. हम सब जानते हैं कि भगवान विष्णु को तुलसी प्रिय है. इसी तुलसी की खेती पंढरपुर (महाराष्ट्र) में बड़े पैमाने पर होती है. इस बहुउद्देश्यीय तुलसी की खेती पंढरपूर के गोपालपुर में माली भाइयों द्वारा की जाती है, जो पंढरपुर से पांच किलोमीटर दूर है. 65 एकड़ क्षेत्र में लगभग 150 परिवार तुलसी और अन्य फूलों की खेती करते हैं.  

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 इस बारे में बात करते हुए गोपालपुर ग्राम पंचायत के सदस्य और क‍िसान पांडुरंग देवमारे कहते हैं कि हम पीढ़ियों से भगवान को पसंद आने वाली तुलसी की खेती करते आ रहे हैं. यह हमारा सौभाग्य है कि हमारे खेत में उगी और हमारे द्वारा बनाई गई तुलसी की माला प्रतिदिन भगवान के गले में पहनाई जाती है.

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देवमारे बताते है कि भगवान विट्ठल को चाहे कितने भी सोने और हीरे के हार पहनाए जाए, लेकिन भगवान को यह तुलसी का हार ही सबसे ज्यादा पसंद है. इसका आध्यात्मिक महत्व है. इसके साथ ही पंढरपुर आने वाले संत और भक्त अपने गले में तुलसी की माला पहनते हैं, इसलिए पंढरपुर और तुलसी का अटूट रिश्ता है.

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दशहरा और दिवाली के दौरान मुंबई में पंढरपुर के फूलों की मालाओं की भारी मांग होती है. इस अवसर पर कई लोग हार बेचने के लिए मुंबई जाते हैं. इससे सभी किसानों को मुनाफा भी अच्छा होता है. तुलसी की खेती से कई लोगों को रोजगार मिलता है.

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तुलसी एक साल की फसल है. तुलसी की खेती के दौरान इसके पौधों को दो फीट बाय ढाई फीट की दूरी पर लगाना पड़ता है.  इसके बाद ये पौधे एक साल तक चलते हैं. देवमारे बताते हैं कि इलाके के पुरुष और महिलाएं हर दिन सुबह सात बजे तुलसी काटने का काम शुरू कर देते हैं. तुलसी को काटकर हार बनाया जाता है और मंदिर परिसर के साथ-साथ पंढरपुर के अन्य स्थानों पर भी बेचा जाता है. 

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किसान का कहना है कि तुलसी की एक एकड़ खेती से सालाना 2.5 लाख रुपये तक की कमाई होती है. देवमारे ने कहा कि हमें इस बात का संतोष है कि हमारी तुलसी माला भगवान को अर्पित की जाती है. यदि तुलसी से उत्पाद बनाने वाली किसी कंपनी की मांग हो तो हम बड़ी पैमाने पर तुलसी की आपूर्ति भी कर सकते हैं.