जायद सीजन की फसलों की बुवाई का समय चल रहा है. इसमें किसान मक्के की खेती कर सकते हैं. इस फसल की खासियत यह है कि इसे महज 3 महीने में तैयार किया जा सकता है. वहीं, इसका उत्पादन भी अन्य फसलों से अधिक होता है. यही कारण है कि किसान इस फसल को उगाना पसंद करते हैं.
वैसे तो मक्के की फसल खरीफ फसल यानी बरसात की फसल मानी जाती है. लेकिन, अब किसान बेहतर मुनाफे के लिए जायद के दिनों में भी मक्के की खेती कर सकते हैं. इस सीजन में प्रमुख रूप से सफेद मक्के की बुवाई की जाती है. वैसे तो किसान पारंपरिक तरीके से इसकी खेती करते हैं लेकिन कृषि एक्सपर्ट की सलाह को मानने पर आप अधिक उपज ले सकते हैं.
सफेद मक्के की खेती किसान छोटे पैमाने पर करते हैं. वहीं मई के महीने में लगाए गई फसल 90 से 110 दिनों में तैयार हो जाती है. इस मक्के को लोग भूनकर खाना अधिक पसंद करते हैं, जिस कारण बाजार में इसका रेट अधिक मिलता है.
ऐसे में जो किसान जुलाई और अगस्त माह में अपने खेतों से मक्के की फसल लेना चाहते हैं, वो अभी मक्के की खेती लगा सकते हैं. इसके लिए किसान ऐसे खेतों का चयन करें जहां की मिट्टी दोमट हो या ऐसी मिट्टी हो जहां नमी बनी रहे. साथ ही भूमि का पीएच मान 6 से 7 के बीच हो.
इसके अलावा बुवाई के 10-15 दिन पहले किसान अपने खेतों में गोबर खाद जरूर मिला लें. इससे जमीन उपजाऊ बनी रहती है. यहां के ग्रामीण क्षेत्रों में कई किसान मुर्गियों का गोबर यानी मल खेतों में डालते हैं. वहीं जुताई के समय किसान अपने खेतों की मिट्टी को भुरभुरा बना लें.
मक्के की बुवाई करते समय किसान गोबर के अलावा फास्फोरस और पोटाश का मिश्रण जरूर करें. साथ ही बुवाई के बाद हर 8 से 10 दिनों के बाद सिंचाई अवश्य करें. इससे फसलों में दाने अच्छी क्वालिटी के आते हैं साथ ही अच्छी पैदावार भी होती है.
इस सीजन के लिए विवेक, गंगा, बीएल 1, बीएल 4 के सफेद मक्का बीज सबसे उपयुक्त हैं. इस बीज से किसान 50 क्विंटल प्रति एकड़ तक की पैदावार ले सकते हैं. जायद मौसम की मक्के की फसल के लिए कतार से कतार के बीच की दूरी 45-65 सेंटीमीटर हो और पौधे से पौधे की दूरी 20 से 25 सेंटीमीटर होनी चाहिए.