महाराष्ट्र में अंगूर की फसल पकने लग गई है. इसके साथ ही किसानों ने अंगूर की तुड़ाई भी शुरू कर दी है. माना जा रहा है कि अगले सप्ताह तक महाराष्ट्र से देश-विदेशी की मंडियों में काले अंगूर की आवक भेजी जा सकेगी.
महाराष्ट्र देश का सबसे बड़ा अंगूर उत्पादक राज्य है. महाराष्ट्र के नासिक में सबसे ज्यादा अंगूर की खेती की जाती है. जिस तरह से उत्तर भारत में किसान अपने खेतों में गेहूं और धान की खेती करते हैं. उसी तरह से नासिक में किसान ने कई एकड़ों में अंगूर के बाग लगाए हुए हैं.
अंगूर की दीवानों का इतंजार इस बार लंबा रहा है. असल में काले अंगूर की फसल दिसंबर तक तैयार हो जाती है. इसके बाद तुड़ाई कर दिसंबर के अंत तक काले अंगूर की खेप नासिक से देश-विदेश को भेज दी जाती है. लेकिन, इस बार अंगूर की फसल पकने में बारिश की वजह से 15 से 20 दिनों की देरी हुई है.
महाराष्ट्र की मंडियों से अंगूर की खेप दुनिया के कई देशों में भेजी जाती है. नासिक में अंगूर की खेती कर रहे किसान संजय साठे बताते हैं कि इस बार वे अंगूर की खेप दुबई भेज रहे है. संजय बताते हैं कि मौजूदा समय काले अंगूर का भाव 80 रुपये से लेकर 100 रुपये प्रति किलो हैं. उम्मीद है कि ये भाव बना रहेगा, जिससे किसान लागत वसूल कर मुनाफा कमा सकेंगे.
बैमौसम बारिश ने काले अंगूर की फसल पर भी असर डाला है. नासिक में काले अंगूर की खेती कर रहे किसान संजय साठे बताते हैं कि बैमौसम बारिश की वजह से शुरुआती दिनों में अंगूर की फसल पिछड़ी है. इस वजह से इसके उत्पादन पर भी असर पड़ा है. तो वहीं तुड़ाई भी लेट हो रही है. वहीं अभी इसके उत्पादन में गिरावट का अनुमान है.
बेशक काले अंगूर पक गए हैं, लेकिन हरे/पीले अंगूर के दीवानों के मन में उनके पकने को लेकर भी सवाल होंगे. इसको लेकर किसान संजय बताते हैं कि हरे/पीले अंगूर भी फरवरी तक बाजार में आ जाएंगे. जिनकी तुड़ाई फरवरी पहले सप्ताह से शुरू हो जाएगी. इस तरह उम्मीद है कि बाजारों में 15 फरवरी के बाद हरे/पीले अंगूर की आवक होने लगेगी.