अमेरिका के लोग अल्फांसो आम के बड़े मुरीद हैं पिछले साल यहां करीब 1200 मीट्रिक टन अल्फांसो आम गया था. इस साल और ज्यादा जाएगा.वहीं इस बीच भारत का सबसे महंगा आम अल्फांसो यानी हापुस इस सीजन में पहली बार महाराष्ट्र से जापान भेजा जा रहा है. पहली खेप 1.5 टन की है. इससे पहले यूरोप भेजा गया था. इसी सप्ताह आस्ट्रेलिया, मलेशिया और अगले सप्ताह अमेरिका में भी निर्यात शुरू हो जाएगा, लेकिन, क्या आपको पता है कि अल्फांसो आम को एक्सपोर्ट करने के लिए किन नियमों का पालन करना पड़ता है.आइए जानते हैं ...
महाराष्ट्र स्टेट एग्रीकल्चर मार्केटिंग बोर्ड के डीजीएम डॉ. बीएन पाटिल का कहना है कि 10 तारीख के बाद अमेरिका को हापुस आम का निर्यात शुरू कर दिया जाएगा. अल्फांसो को महाराष्ट्र में हापुस आम के नाम से भी जाना जाता है. महाराष्ट्र में अल्फांसो और केसर मैंगो को जीआई टैग यानी जियोग्राफिकल इंडिकेशन मिला है, लेकिन महाराष्ट्र से हापुस को अमेरिका भेजने से पहले उसे कीटाणु मुक्त किया जाता है. एक्सपोर्ट से पहले आम का विकिरण ट्रीटमेंट करना पड़ता है. ऐसा आम को कीटाणु रहित करने के लिए किया जाता है. ताकि यहां का कोई कीट अमेरिका पहुंचकर वहां के लोगों को नुकसान न पहुंचाए.
डॉ. पाटिल के अनुसार अमेरिका में अल्फांसो को एक्सपोर्ट करने से पहले जो विकिरण ट्रीटमेन्ट किया जाता है उसमें वहां का इंस्पेक्टर खुद मौजूद रहता है. उसके सामने ही ट्रीटमेंट होता है. बाकी देशों के लिए इतने सख्त नियम नहीं हैं. आस्ट्रेलिया और मलेशिया में भेजने से पहले भी ट्रीटमेंट होता है, लेकिन इन देशों का कोई प्रतिनिधि मौजूद नहीं होता. मिडल ईस्ट में सबसे ज्यादा आम भेजा जाता है.
साल 2017 से 2020 के दौरान अमेरिका को भारत ने रिकॉर्ड 3000 मीट्रिक टन आमों का निर्यात किया था. लेकिन, कोरोना काल में एक्सपोर्ट बंद हो गया था. फिर पिछले साल यानी 2022 में अल्फांसो एक्सपोर्ट का नया रिकॉर्ड बना. अमेरिका के लोग अच्छी गुणवत्ता वाला आम मंगाते हैं.
भारतीय आमों के एक्सपोर्ट पर अमेरिका ने 2020 से रोक लगाई दी थी. क्योंकि यूनाइटेड स्टेट्स डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर (USDA) के इंस्पेक्टर कोरोना की वजह से अंतरराष्ट्रीय यात्रा पर लगाए गए प्रतिबंधों के कारण भारत दौरे पर नहीं आ पाए थे. इसलिए वे विकिरण ट्रीटमेंट सुविधा का इंस्पेक्शन नहीं कर पाए थे.
नवंबर 2021 में आयोजित 12वीं अमेरिकी व्यापार नीति फोरम की बैठक के अनुसार कृषि विभाग और यूनाइटेड स्टेट्स डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किया हुआ है. इसके मुताबिक भारत और अमेरिका भारतीय आमों, अनारों के निर्यात और अमेरिकन चेरी के आयात पर विकिरण को लेकर संयुक्त प्रोटोकॉल का पालन करेंगे.