बरसात आते ही सबकुछ महंगा हो जाता है. खासकर सब्जियां सबसे अधिक रुलाती हैं. अभी यही देखने में आ रहा है. अभी अधिकांश सब्जियां 100 रुपये के आसपास या उसके पार चल रही हैं. टमाटर इसका जीता-जागता उदाहरण है. इसके भाव कब के 100 रुपये से ऊपर छलांग मार चुके हैं. लेकिन क्या टमाटर अकेला है जिसने अपनी कीमतों से लोगों को लाल कर रखा है? नहीं, ऐसा नहीं है. कई सब्जियां हैं जो टमाटर से कंधा मिललकर चल रही हैं. इसी में एक है हरी मिर्च. जो हरी मिर्च कभी 20-25 रुपये किलो बिक रही थी, वह अभी 125 रुपये किलो पर पहुंच गई है. ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि बारिश की वजह से सप्लाई पर बुरा असर देखा जा रहा है.
हम आपको सीधा लिए चलते हैं मध्य प्रदेश के खरगोन में जहां सब्जियों की बड़े पैमाने पर खेती होती है. यहां से देश के कई हिस्सों में सब्जियों की सप्लाई की जाती है. यहां के लोगों का कहना है कि पिछले पांच-सात दिनों में ही मिर्च का भाव सैकड़ा को पार कर गया है. खरगोन मंडी के फुटकर विक्रेता मुकेश कुशवाहा का कहना है माल की आवक कम होने से मिर्ची के दाम बढ़े हैं. अभी भाव 80-100 रुपये हो गए हैं. ईद के बाद से तेजी से भाव बढ़े हैं. माल बहुत कम आ रहा है. ऐसे में संभावना है कि 40 रुपये पाव भी मिर्च की कीमत हो सकती है. यानी एक किलो का दाम 200 रुपये तक जा सकता है.
नागझिरी के किसान श्याम कुशवाह का कहना है कि जब टमाटर महंगा हुआ तो उसका भाव 40 रुपये से 80 रुपये हो गया. फिर कीमत 100 रुपये को पार कर गई. अब मिर्च महंगी हो गई है. पहले कहा जा रहा था कि अपने यहां पाकिस्तान से सस्ता टमाटर और मिर्च है, लेकिन सही मायने में हमारे यहां भी महंगा होता जा रहा है.
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मध्य-प्रदेश के खरगोन में टमाटर के बाद अब हरी मिर्च के दाम आम लोगों को लाल-पीला कर रहे हैं. एक सप्ताह पहले 25 से 35 रुपये किलो बिकने वाली हरी मिर्च अचानक 80 से 120 तक पहुंच गई है. व्यापारियों की मानें तो आवक कम होने से हरी मिर्च के दामों में अचानक उछाल आया है. मिर्च के दाम और बढ़ने की संभावना है. कहा जा रहा है कि बारिश बढ़ने से दामों में तेजी से उछाल देखा जा सकता है.
खरगोन जिले में बेड़िया, सनावद सहित कसरावद, खरगोन ब्लॉक में मिर्च का उत्पादन किया जाता है. बेड़िया में एशिया की दूसरी सबसे बड़ी बेस्ट मंडी होने से कई गांव में मिर्च का उत्पादन अधिक मात्रा में किया जाता है. 15 दिन पहले खरगोन में मिर्च के दाम 20 से 35 रुपये किलो थे लेकिन अब 80 से 120 रुपये किलो हो गया है. मिर्च के दाम अत्यधिक होने से आम उपभोक्ता आधा, एक किलो मिर्च खरीदने की बजाय पचास से सौ ग्राम मिर्च खरीद रहे हैं.
रोजाना पांच से सात मिनी ट्रक भरकर मिर्च की आवक खरगोन मंडी में हो रही थी लेकिन अभी दो-तीन मिनी ट्रक भरकर मिर्च की आवक है. आवक घटने से ही दाम ने अचानक उछाल मारी है. एक सप्ताह में मिर्च का भाव कहां से कहां पहुंच गया है. यह हालत केवल मध्य प्रदेश में नहीं है बल्कि देश की कई मंडियों में सब्जियों के भाव ने तेजी दिखाई है. मंडी में भाव अधिक रहने से आम लोगों को भी ज्यादा दाम देना पड़ रहा है. यह बात सभी सब्जियों के साथ लागू होती है.
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मंडियों में केवल टमाटर का भाव नहीं बढ़ा बल्कि मिर्च, परवल, नेनुआ और तोरई भी महंगी हो गई है. सागों के रेट थोड़े कम चल रहे हैं क्योंकि बरसात में लोग इसे कम खाना पसंद करते हैं. 10 दिन पहले 80 रुपये किलो बिकने वाला अदरक अब 80 रुपये पाव बिक रहा है. यही हाल धनिया का भी है. अदरक की तरह ही धनिया का रेट भी चार गुना से भी अधिक हो गया है. जो धनिया 70 से 200 रुपये किलो बिक रहा थी, वह आज की तारीख में 300 रुपये प्रति किलो बिक रही है.(उमेश रेवलिया की रिपोर्ट)