झारखंड एक बार फिर सूखे की चपेट में है. हालांकि अभी तक इसकी अधिकारिक घोषणा नहीं की गई है. राज्य के कृषि मंत्री और मुख्यमंत्री पहले ही कह चुके हैं कि 15 अगस्त तक सरकार पूरी स्थिति पर नजर बनाए हुए है. इसके बाद स्थिति का जायजा लिया जाएगा और सूखे की घोषणा की जाएगी. राज्य में अभी तक मौसम विभाग की तरफ से अच्छी बारिश के आसार नहीं बताए गए हैं. कृषि एक्सपर्ट भी कहते हैं कि 15 अगस्त के बाद धान की रोपाई का समय नहीं रहता है क्योंकि इस समय रोपाई करने से अच्छी पैदावार हासिल नहीं होगी. किसान भी मानते हैं कि अब धान की रोपाई करना महज रस्म निभाना होगा क्योंकि उम्मीद के मुताबिक पैदावार नहीं होगी.
एक जून से 15 अगस्त तक राज्य में 658.9 एमएम सामान्य बारिश दर्ज की जाती है पर इस बार मात्र 410.9 एमएम बारिश हुई है. बारिश की कमी 38 फीसदी है. हालांकि अगस्त महीने की शुरुआत में हुई अच्छी बारिश के कारण कमी थोड़ी घटकर 37 फीसदी हुई थी. मगर एक बार फिर से बारिश रुक गई है तो यह बढ़कर 38 फीसदी हो गई है.
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जिलों की बात करें तो सिर्फ तीन ही ऐसे जिले हैं जहां पर सामान्य बारिश दर्ज की गई है. गोड्डा, साहिबगंज जिले में अच्छी बारिश हुई है. इसके अलावा रांची, धनबाद, बोकारो, रामगढ़ समेत राज्य के 20 एसे जिले हैं जहां बारिश की 20 फीसदी से अधिक और 60 फीसदी से कम की कमी है. बाकी एक जिला चतरा है जहां स्थिति ऐसी है कि 60 फीसदी से अधिक बारिश की कमी है.
इस बीच किसान किसी तरह से पानी का इंतजाम करके धान की रोपाई कर रहे हैं. पर इस बार किसानों की विडंबना यह है कि उन्हें पानी खोजने के लिए मशक्कत करना पड़ रहा है. कुएं और तालाब सूख चुके हैं. कहीं कहीं पर बारिश का पानी जमा हुआ है उससे किसान सिंचाई करके धान की रोपाई कर रहे है.
मांडर प्रखंड के एक किसान ने बताया कि सिंचाई करके धान की रोपाई करने में पांच-सात हजार रुपये का अतिरिक्त खर्च आ रहा है. इसके बाद भी इस बार की गारंटी नहीं है कि बारिश होगी और धान अच्छी होगी. किसान फिर भी लगा रहे हैं क्योंकि इसके अलावा कोई उपाय नहीं है. यही कारण है कि आज तक राज्य में महज 30 फीसदी ही धान की रोपाई हो पाई है.
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झारखंड में साल 2022 में आए सूखाड़ की बात करें तो पिछले साल किसानों को धान की खेती करने ते लिए कुएं, तालाब और नदियों में पानी था. पर इस साल मॉनसून देर से आया और किसान पिछले बार के सूखे से आशंकित थे, इसलिए किसानों के पास सिंचाई से संसाधन भी कम थे. यही वजह है कि किसानों ने देर से खेती शुरू की. अब धान रोपाई का समय लगभग बीत चुका है और किसान सरकारी ऐलान का इंतजार कर रहे हैं.