जहां शव को जलाया जाता हो, जहां किसी का अंतिम संस्कार किया जाता हो, अगर उसी जगह पर अनाज रखे जाएं तो आप क्या कहेंगे. एक बार आप चौंक जाएंगे और उन लोगों को भला बुरा कहेंगे जो ऐसे काम को अंजाम देते हैं. ये वाकया हरियाणा के रोहतक में सामने आया है. दरअसल, सोशल मीडिया में एक खबर और उससे जुड़ा एक वीडियो तेजी से वायरल हुआ जिसमें श्मशान घाट में गेहूं की ढेरी दिखाई गई. खबर का लब्बोलुआब कुछ ये था कि किसान मजबूरी में मसान घाट में अपना गेहूं रख रहा है क्योंकि उसे भंडारण की कोई जगह नहीं मिल रही. ऐसे में आप भी कहेंगे कि जहां सरकार और प्रशानिक अधिकारी किसानों के लिए तमाम दावे करते हों, ये तस्वीरें उन्हीं दावों की पोल खोल रही हैं.
यह खबर कांग्रेस के पूर्व मंत्री आनंद सिंह दांगी के गांव मदीना की है. यहां अनाज मंडी में जगह न होने के चलते किसान श्मशान घाट में गेहूं डालने को मजबूर हो रहा है. यही नहीं, राष्ट्रीय राजमार्ग पर भी कई सौ मीटर तक सड़क पर गेहूं कि ढेरियां लगी हुई हैं, जिसके कारण पूरी सड़क वन-वे हो चुकी है. किसानों का कहना है कि सरकार जो सुविधा देने की बात कह रही है, वो धरातल पर नहीं है.
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रोहतक जिले के मदीना गांव में हालात कुछ यूं हैं कि यहां के किसान अनाज मंडियों में जगह न होने के चलते सड़क से लेकर श्मशान घाट तक गेहूं डालने को मजबूर हैं. जिस श्मशान घाट में लाश का अंतिम संस्कार किया जाता है, उसी घाट पर किसान अपने साल भर की कड़ी मेहनत से उगाया गया अनाज डालने पर मजबूर हो रहा है. इस बार किसानों की गेहूं की आवक इतनी अधिक हुई है कि राष्ट्रीय राजमार्ग से लेकर श्मशान घाट तक गेहूं की ढेरियां ही नजर आ रही हैं.
आलम यह है कि राष्ट्रीय राजमार्ग को वन-वे करना पड़ा है. इसे सरकार और प्रशासन की बदइंतजामी कहें या किसानों की बदकिस्मती कि पहले मौसम और ओलावृष्टि की मार झेल कर टूट चुका किसान अब ये मंजर भी देखने को विवश हुआ है. कांग्रेस में पूर्व मंत्री रहे आनंद सिंह डांगी के गांव में स्थित अनाज मंडी का यह हाल है, तो बाकी जगहों में क्या इंतजाम रहे होंगे, समझना मुनासिब है.
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हिसार रोहतक राष्ट्रीय राजमार्ग पर मदीना अनाज मंडी के बाहर रोड के साथ-साथ कई सौ मीटर तक गेहूं की ढेरियां पड़ी हुई हैं. आम लोग भी देखकर चौंक रहे हैं कि गेहूं की क्या गति हो रही है. यह वही गेहूं है जो कुछ दिनों पहले तक खुले बाजार में 30-40 रुपये तक बिक रहा था.
दूसरी ओर अनाज मंडी में गेहूं लेकर पहुंचे किसानों का कहना है कि वे मजबूरी में यहां गेहूं डाल रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार जो दावे कर रही है, वह धरातल पर कहीं नजर नहीं आते और किसान खुले में जमीन पर अपना गेहूं डालने को मजबूर है. किसानों ने यह भी कहा कि श्मशान घाट में मिट्टी में गेहूं डाल रहे हैं. दूसरी ओर गेहूं खरीद रहे आढ़तियों का कहना है कि जिस श्मशान घाट में अंतिम संस्कार किया जाता हो, उसी घाट पर मजबूरन किसान और आढ़ती पहुंच रहे हैं. आढ़तियों ने कहा कि अनाज मंडी में जगह नहीं है, इसलिए किसान सड़क पर और श्मशान घाट पर गेहूं डाल रहे हैं. आढ़तियों ने ऑनलाइन पोर्टल पर भी सवाल खड़े किए जिसके जरिये किसानों को अपना गेहूं बेचना पड़ रहा है.