बरबरी नस्ल (Barbari Bakri) आज यूपी की खास पहचान बन चुकी है. खासतौर पर दूध-मीट और जल्दी-जल्दी ज्यादा बच्चे देने के चलते भी इन्हें पाला जाता है. अरब देशों में इनके मीट की बहुत डिमांड रहती है. सीआईआरजी (CIRG) के बरबरी एक्सपर्ट एमके सिंह ने बताया कि बरबरी नस्ल को शहरी बकरी भी कहा जाता है. अगर आपके आसपास चराने के लिए जगह नहीं है तो इसे खूंटे पर बांधकर या छत पर भी पाला जा सकता है. अच्छा चारा खिलाने से इसका वजन 9 महीने का होने पर 25 से 30 किलो, एक साल का होने पर 40 किलो तक हो जाता है. अगर इन्हें सिर्फ मैदान या जंगल में चराई पर ही रखा जाए तब भी एक साल का बकरा 25 से 30 किलो का हो जाता है.