यूपी की योगी सरकार ने खेतों या सड़कों पर बेसहारा गायों की समस्या से निजात पाने के मकसद से बेसहारा गायों को गौशालाओं तक पहुंचाने के लिए आईएएस अफसरों तक को सड़कों पर उतार दिया. अब गौशालाओं की बदइंतजामी से गोवंश को निजात दिलाने के लिए सूबे के एक आईएएस अफसर ने सरकारी अधिकारियों को एक दिन के लिए गौशाला में जाकर गौ सेवा करने की अनूठी पहल की है. देवरिया जिले में पशुपालन और अन्य सम्बद्ध विभागों के अधिकारी आगामी 4 जून को दिन भर गौशालाओं में रहकर बेसहारा गायों की सेवा करेंगे. इसका मकसद गायों को बेसहारा छोड़ने के बजाय इस समस्या के समाधान में जनता की भागीदारी भी बढ़ाते हुए समाज में यह संदेश देना है कि गोवंश का संरक्षण करना लोगों की भी जिम्मेदारी है.
देवरिया के जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह एक आदेश पारित कर कहा है कि आगामी 4 जून को पूरे जिले में 'गौशाला प्रवास दिवस' मनाया जाएगा. इसमें शासन और समाज, दोनों की भागीदारी सुनिश्चित करते हुए 4 जून को सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे तक संबद्ध अधिकारी गौशाला में गौ सेवा करेंगे.
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सिंह ने बताया कि प्रशासन के संज्ञान में यह बात आई है कि गौ आश्रय स्थल के प्रबंधन के लिए जवाबदेह बनाए गए पशुपालन विभाग, पशु चिकित्सा विभाग और पंचायती राज विभाग के कुछ अधिकारी अपने दायित्वों का निर्वहन नहीं कर रहे हैं. ये अधिकारी गौशालाओं को पर्याप्त समय नहीं दे रहे हैं, इसलिए इनमें फैली बदइंतजामियों का भी कोई समाधान नहीं हो पा रहा है.
उन्होंने कहा कि इससे गौशालाओं में प्राय: समस्याएं होने की शिकायत आती रहती हैं. इसके मद्देनजर जिले के बीडीओ, वेटनरी ऑफिसर तथा एडीओ पंचायत सहित अन्य अफसरों एवं कर्मचारियों को 4 जून को अपने-अपने क्षेत्रों की गौशालाओं में रह कर गायों की सेवा करते हुए गौशाला की समस्याओं को दूर कराने को कहा गया है.
सिंह ने बेसहारा गोवंश की समस्या के समाधान के लिए पशुपालन विभाग सहित अन्य संबद्ध विभागों की जवाबदेही तय करने के लिए एक अनूठी पहल की है. इसमें गौ-आश्रय स्थलों की दशा सुधारने के लिए के लिए जिम्मेदार अधिकारियों को शामिल किया गया है. सिंह का मानना है कि गोवंश के संरक्षण के लिए शासन द्वारा जवाबदेह बनाए गए अफसरों में सड़कों और खेतों में घूम रही गायों को गौशाला तक पहुंचाने के बाद उनकी देखभाल करने की जिम्मेदारी तय होगी. साथ ही इस समस्या के समाधान की दिशा में लोगों को भी उनकी जिम्मेदारी का अहसास कराया जा सकेगा.
जिले के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी अरविंद कुमार वैश्य ने कहा कि देवरिया जिले में कुल 24 गौ आश्रय स्थल हैं. इनमें कुल 1517 गोवंश रखे गए हैंं. इनमें से 1416 नंदी एवं 101 गाय हैं. उन्होंने बताया कि जिले में मौजूद 8 कान्हा गौशालाओं में 583 गोवंश तथा दो वृहद गो संरक्षण केंद्र में 408 गोवंश संरक्षित हैं.
वैश्य ने कहा कि सहभागिता योजना के तहत जिले के 140 लोगों ने 345 बेसहारा गायों को गोद लिया है. निराश्रित गोवंश को गोद लेने वाले व्यक्ति को प्रति गोवंश के हिसाब से सरकार द्वारा भरण पोषण एवं इलाज आदि के लिए 900 रुपये प्रतिमाह दिया जाता है. इस योजना के तहत 1 व्यक्ति अधिकतम 4 गोवंश को गोद ले सकता है. उन्होंने बताया कि जिलाधिकारी के आदेशानुसार गोद लिए गए गोवंश की देखरेख कैसे हो रही है, इसका जायजा भी 4 जून को होने जा रही मुहिम में संबद्ध अधिकारी लेंगे.
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गौशाला प्रवास दिवस के बारे में आयोजित बैठक को संबोधित करते हुए जिलाधिकारी ने बताया कि निराश्रित गोवंश को संरक्षण स्थल पर पहुंचाने और गौशालाओं में मौजूद गोवंश की देखभाल करने के लिए यह अभियान चलाया गया है. उन्होंने कहा कि गोवंश का संरक्षण करना, सरकार की पहली प्राथमिकता है. उन्होंने इसमें लापरवाही न बरतने की ताकीद करते हुए कहा कि गोशालाओं से निकलने वाले गोबर के व्यावसायिक उपयोग को बढ़ाया जा रहा है. इस गोबर से कंपोस्ट खाद, अगरबत्ती, उपले सहित कई अन्य गोबर जनित उत्पादों की बाजार में मांग को देखते हुए भी इस मुहिम का महत्व बढ़ गया है. इसमें गाय के गोबर से बनाए जा रहे उत्पादों को बाजार में बढ़ावा देने की पहल भी शामिल है.
गौरतलब है कि योगी सरकार ने यूपी में किसानों के छुट्टा जानवरों की समस्या के लिए कुख्यात अन्ना कुप्रथा से बेसहारा हुई गायों को पोषण मिशन के तहत संरक्षण देने की पहल की है. इसके तहत पूरे प्रदेश में 11.5 लाख बेसहारा गायों को 6800 गौशालाओं में पनाह मिली है.
पशुपालन विभाग की ओर से बताया गया कि प्रदेश में इस साल 31 मार्च तक 6066 अस्थाई गौशालाओं में 9,15,125 गोवंश को पनाह दी गई है. इसके अलावा 280 स्थाई एवं बड़ी गौशालाओं में 1.39 लाख गोवंश को, कान्हा गौशाला में 85,867 गोवंश एवं 328 कांजी हाउस में 17,156 गोवंश की उचित देखभाल हाे रही है. इसके साथ ही मुख्यमंत्री सहभागी योजना में 1.81 लाख गायों और सुपुर्द गोवंश पोषण मिशन के अंतर्गत 3600 गायों के पोषण का दायित्व पूरा किया जा रहा है. इस प्रकार कुल 11 लाख 57 हजार 204 गोवंश को पर्याप्त देखरेख में रखा गया है.