यूपी में बदलते मौसम पर मवेशियों पर मंडराता निमोनिया का खतरा! जानें लक्षण और बचाव के उपाय

यूपी में बदलते मौसम पर मवेशियों पर मंडराता निमोनिया का खतरा! जानें लक्षण और बचाव के उपाय

Animal Husbandry: मेरठ के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. राजेंद्र कुमार शर्मा बताते हैं कि पशुओं को ताजा और स्वच्छ पानी ही पिलाए क्योंकि मौसम का बदलाव पानी पर भी प्रभाव डालता है. वहीं पशुओं को जहां रख रहे हैं उसे प्लास्टिक या बोरे से घेर दें.

बीमार पशुओं के साथ बरतें ये सावधानियां (Photo Credit-Kisan Tak)बीमार पशुओं के साथ बरतें ये सावधानियां (Photo Credit-Kisan Tak)
नवीन लाल सूरी
  • Lucknow,
  • Oct 27, 2024,
  • Updated Oct 27, 2024, 5:00 PM IST

भारत के ग्रामीण इलाकों में ज्यादातर लोगों की आजीविका पशुपालन (Animal Husbandry) पर निर्भर करती हैं. दुधारु पशुओं के जरिये अच्छी आमदनी लेने के लिये बदलते मौसम में उनकी सही तरह से देखभाल करना जरूरी है. बदलते मौसम में पशुओं में बीमारियां (Animal Disease) पनपने का खतरा ज्यादा रहता है. मेरठ के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. राजेंद्र कुमार शर्मा ने इंडिया टुडे के किसान तक से बातचीत में बताया कि जिस तरह से सुबह-शाम गर्म और ठंड का मौसम हो रहा है, ऐसे में बदलते मौसम के दौरान मवेशियों में निमोनिया का खतरा ज्यादा रहता है. खासकर निमोनिया की चपेट में पशुओं के बच्चों की संख्या ज्यादा है. 

संतुलित पशु आहार

उन्होंने बताया कि पशु सर्दी जुखाम और बुखार के चपेट में ज्यादा आ रहे हैं. इस समय पशुओं में थनैला रोग भी हो रहा है. इन दिनों पशु मालिकों को सावधान रहना बेहद जरूरी है. बचाव को लेकर खासतौर से ध्यान देने की जरूरत है.’  डॉ. शर्मा ने बताया कि ऐसे में हरा चारा देने बिल्कुल कम कर देना चाहिए. 80 प्रतिशत भूसा और 20 प्रतिशत हरा चारा मिलकर पशुओं के देने से उनका स्वास्थ्य ठीक रहेगा. उन्होंने बताया कि बदलते मौसम में पशुओं में खुरपका-मुंहपका, निमोनिया, जुकाम और जूं, चीचड़ और पिस्सू जैसे कीड़े और बीमारियों की संभावना अधिक बढ़ जाती है, ऐसे में फौरन पशु चिकित्सक से संपर्क करना चाहिये.

कैसे रखें पशुओं का ख्याल

मेरठ के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. राजेंद्र कुमार शर्मा बताते हैं कि पशुओं को ताजा और स्वच्छ पानी ही पिलाए क्योंकि मौसम का बदलाव पानी पर भी प्रभाव डालता है. वहीं पशुओं को जहां रख रहे हैं उसे प्लास्टिक या बोरे से घेर दें. अगर पशु कमरे में है तो बाहर निकलने से पहले कमरे का दरवाजा खोलकर 10 मिनट छोड़ दें ताकि, बाहर और अंदर का टेंपरेचर समान हो जाए तो पशु बीमार नहीं पड़ेंगे.

पशुओं में बढ़ रहा थनैला रोग 

उन्होंने बताया कि पशुओं के आहार पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. 24 घंटे में 2 किलो गुड़ का रस जरूर दें. ऐसे आपका पशु बीमारियों से पीड़ित नहीं होगा. पशुओं में थनैला रोग हो जा रहा है. यह गंदगी और तापमान के कारण हो रहा है. इन बातों का ध्यान रख थनैला रोग से भी पशु को बचाया जा सकता है. पशुओं को दुहाने के बाद ठीक प्रकार साफ-सफाई न करने पर थनैला रोग हो जाता है. दरअसल, पशुओं को दूध दुहने के कुछ समय बाद तक थनों का मुंह खुला रहता है.

ऐसी स्थिति में पशुओं के जमीन पर बैठते ही फर्श पर मौजूद जीवाणु थनों में चले जाते हैं. इस समस्या के समाधान के लिये पशुओं को दुहाने के तुरंत बाद बैठने न दें. दूध निकालने के तुरंत बाद साफ-गर्म पानी में जंतु नाशक दवा की कुछ बूंदें डालकर घोल बनायें और साफ कपड़े को इस दवा में भिगोकर पशुओं के थनों की सफाई करें.

दुधारू पशु ठंड में हो सकते हैं बीमार

डॉ. राजेंद्र कुमार शर्मा के मुताबिक, मौसम में बदलाव होने के साथ दुधारू पशुओं का बीमार होना एक आम बात है. बहुत बार हम लापरवाही कर बैठते हैं, जिस वजह से बात बिगड़ जाती है. ऐसे में सवाधानी बरतना बहुत जरूरी हो जाता है. उन्होंने सभी पशुपालकों से अपील करते हुए कहा कि सरकार के द्वारा निशुल्क टीकाकरण का अभियान जारी है, ऐसे में पशु चिकित्सालय में जाकर टीका लगवा सकते है, जिससे मवेशियों को बीमारियों की चपेट से बचाया जा सकता हैं. 

 

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