World Fisheries Day: एक वेजिटेरियन शख्स ने बदल दी फिशरीज सेक्टर की दिशा और दशा, पूरे देश में बनाई पहचान

World Fisheries Day: एक वेजिटेरियन शख्स ने बदल दी फिशरीज सेक्टर की दिशा और दशा, पूरे देश में बनाई पहचान

फिशरीज सेक्टर को और रफ्तार देने के लिए केन्द्र सरकार जल्द ही झींगा से जुड़ी किसी बड़ी योजना का ऐलान कर सकती है. गौरतलब रहे देश में 10 लाख टन झींगा का उत्पादन होता है. इसमे से 70 से 75 फीसद झींगा का एक्सपोर्ट होता है. सीफूड एक्सपोर्ट में सबसे बड़ा हिस्सा भी झींगा का ही है.   

केंद्रीय मंत्री परषोत्तम रूपालाकेंद्रीय मंत्री परषोत्तम रूपाला
नासि‍र हुसैन
  • नई दिल्ली,
  • Nov 21, 2023,
  • Updated Nov 21, 2023, 8:18 AM IST

खानपान से प्योर वेजिटेरियन, लेकिन सोच ऐसी कि फिशरीज सेक्टर की दिशा और दशा दोनों ही बदल दीं. मछुआरों के बीच उनके घर-गांव में घुसने से भी कोई ऐतराज नहीं. सागर परिक्रमा जैसी बड़ी परियोजना से समुंद्र में हजारों मील की दूरी नाप दी. वक्त से मछली क अच्छा दाम मिल जाए इसके लिए फिशरीज एंड एक्वाक्चर इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा कर दिया. एक साल में ही सूखी मछली का एक्सपोर्ट दोगुना से ज्यादा हो गया. आर्थिक मदद के लिए किसानों की तरह से मछुआरों के भी केसीसी कार्ड बनाए जा रहे हैं. बीमा स्कीम का फायदा दिया जा रहा है. फिशरीज में अब तक का सबसे बड़ा 38.5 हजार करोड़ रुपये का निवेश हो चुका है. 

देशी-विदेशी खरीदार, उत्पादनकर्ता और एक्सपर्ट को एक ही प्लेहफार्म पर लाने के लिए देश में पहली बार फिशरीज विषय पर इंटरनेशनल कांफ्रेंस आयोजित की जा रही है. केन्द्रीय मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्री की पहचान रखने वाले परषोत्तम रूपाला को अक्सर समुंद्र में किसी न किसी मछली पकड़ने वाली बोट पर देखा जा सकता है. 

96 लाख टन से 174 लाख टन पर पहुंचा मछली उत्पादन

साल 1950 से लेकर 2022-23 में मछली उत्पादन में 22 गुना से भी ज्या‍दा की बढ़ोतरी हुई है. 10 साल में भारत का सालाना मछली उत्पादन 95.79 लाख टन (2013-14) से बढ़कर 174 लाख टन (2022-23) के सबसे ऊंचे रिकॉर्ड पर आ गया है. इस दौरान मछली उत्पादन में 78 लाख टन की बढ़ोतरी हुई है. फिशरीज डिपार्टमेंट का कहना है कि साल 2024-25 में सालाना मछली उत्पाोदन 220 लाख टन तक पहुंचने की उम्मीद है. 

सी फूड एक्सपोर्ट को लगे पंख

साल 2013-14 के बाद से भारत का सीफूड एक्सपोर्ट दोगुना हो गया है. 2013-14 में जहां सीफूड एक्सपोर्ट 30 हजार, 213 करोड़ रुपये था, वहीं यह वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान बढ़कर 64 हजार  करोड़ रुपये हो गया है. विश्वस्तर पर कोराना और दूसरी महामारी के चलते बाजार में आई परेशानियों के बावजूद 111.73 फीसद की बढ़ोतरी हुई है. आज भारतीय सीफूड दुनिया के 129 देशों में निर्यात किया जाता है. जिसमें सबसे बड़ा खरीदार यूएसए और चीन हैं. 

58 फीसद बढ़ गया सूखी मछली का एक्सपोर्ट

मंत्रालय की ओर से जारी की गई रिपोर्ट की मानें तो सूखी मछली का एक्सपोर्ट डबल से ज्यादा बढ़ा है. अगर रुपये में बात करें तो 5503 करोड़ रुपये की सूखी मछली एक्सपोर्ट की गई है. साल 2021-22 के मुकाबले इस आंकड़े में 58.51 फीसद की बढ़ोतरी हुई है. और अगर मात्रा के हिसाब से बात करें तो 62.65 फीसद की बढ़ोतरी हुई है. सीफूड इंडस्ट्री के लिए ये एक बड़ी खुशखबरी है. इसके चलते अब ज्यादा से ज्या़दा लोग महंगी कीमत पर कोल्ड में मछली को रखने के बजाए कम लागत पर उसे सुखाकर बेचना पसंद करेंगे. 

देश के फिशरीज सेक्टर पर एक नजर- 

इनलैंड यानि जमीन पर तालाब और नदी समेत दूसरे तरीके से किए जा रहे मछली उत्पादन में 114 फीसद का उछाल आया है. साल 2013-14 में इनलैंड मछली उत्पादन 61.36 लाख टन था, जो साल 2022-23 में 131.37 लाख टन पर पहुंच गया है. 

झींगा एक्सपोर्ट साल 2013-14 में 19368 करोड़ रुपये का हुआ था. जबकि साल 2022-23 में 43135 करोड़ रुपये का हुआ है. 

4906 करोड़ रुपये से फिशिंग हॉर्बर और 182 करोड़ रुपये से फिश लैंडिंग सेंटर बनाए गए हैं. कुल 7522 करोड़ रुपये फिशरीज एंड एक्वाक्च्र इंफ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट पर खर्च किए गए हैं.

देश की सबसे बड़ी मछली योजना 20050 हजार करोड़ रुपये की पीएम मत्स्य संपदा योजना है.

 

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