आमतौर पर हम सभी बकरे-बकरियों को खुले मैदान, खेत और जंगलों में चरते हुए देखते हैं. हालांकि बकरियों की जरूरत को पूरा करने का यही सही तरीका है. लेकिन आजकल बकरियों को तीन तरह से चराया जाता है. चराकर, खूंटे पर बांधकर और चराने के साथ खूंटे पर बांधकर. बकरियां दूसरे बड़े जानवरों की तरह से एक बार में पेट नहीं भरती हैं. थोड़ा-थोड़ा करके तीन में चार से पांच बार इन्हें खाने के लिए चाहिए. बकरियों का चारा तीन तरह का होता है. हरा चारा, सूखा चारा और दाना. लेकिन इस सब के साथ यह ख्याल रखना भी बेहद जरूरी है कि बकरी जो खा रही है वो ठीक से हजम हो रहा है या नहीं.
बकरियों का खानपान मेमने से लेकर बड़ी बकरी की उम्र पर निर्भर करता है. बकरी अगर प्रेग्नेंट है तो उसके मुताबिक खाने को दिया जाएगा. अगर बकरी दूध दे रही है तो उस चारे की मात्रा अलग होगी. अगर आपने मीट के लिए बकरा पाला हुआ है तो उसका खानपान अलग होगा.
बकरियां ही नहीं गाय-भैंस के खाने में हरे चारे को बेहद खास माना गया है. एक्सपर्ट की मानें तो हरे चारे में प्रोटीन, खनिज, लवण और विटामिन खूब पाए जाते हैं. बकरियों द्वारा खाया जाने वाला हरा चारा कई रूप में मिलता है. जैसे कई तरह की घास,पेड़-पौधों की पत्तियां और फलियां, पत्तेदार सब्जियां, बरसीम और चरी आदि. साधारण नमक, क्रूड प्रोटीन, खनिज मिश्रण और संपूर्ण पाचक तत्व.
सूखे चारे में अरहर, चना और मटर का भूसा, सानी में लगाकर गेहूं का भूसा. मूंग, उड़द की सूखी पत्तियां, सूखी हुई बरसीम, चरी, रिजका. लोबिया, मक्का, नेपियर और बरसीम, चरी, रिजका को अगर सुखाकर रखा गया है तो बकरियों के लिए इससे बढ़ियां सूखा चारा कोई और हो ही नहीं सकता.
बकरियों को तंदरुस्त बनाने और उन्हें जरूरत के मुताबिक सभी जरूरी मिनरल देने के लिए दाना खिलाना बहुत जरूरी है. बकरियों के लिए जितना जरूरी सूखा और हरा चारा है उससे कहीं ज्यादा दाना भी है. दाना खिलाने से ही दूध की क्वालिटी भी बढ़ती है. दाना बनाने के लिए जौ, मक्का, बाजरा, सरसों, अलसी, तिल, मूंगफली की खल.