आज के समय में महंगाई आसमान छूती नजर आ रही है. महंगाई से बचने के लिए आम लोग से लेकर किसान एक साथ कई काम करते नजर आ रहे हैं. ताकि अपना जीवनयापन सही ढंग से कर सकें. इसी कड़ी में पशुपालन आज के समय में तेजी से आगे बढ़ता नजर आ रहा है. किसान पशुपालन के माध्यम से अच्छी आय कमाने में सक्षम हैं. भारत में पशुपालन बड़े पैमाने पर किया जा रहा है. पशुपालन के क्षेत्र में भारत विश्व में दूसरे स्थान पर है. जब दूध उत्पादन और दुधारू पशुओं के पालन की बात आती है तो भैंस को काफी बेहतर माना जाता है. दूध उत्पादन के मामले में गाय की तुलना में भैंस अधिक दूध देती है. जिस वजह से पशुपालक भैंस की उन्नत नस्लों का पालन करते आ रहे हैं. इसी कड़ी में आज हम बात करेंगे भैंस की एक ऐसी नस्ल के बारे में जो एक ब्यांत में 1700 से 1800 लीटर तक दूध देने में सक्षम है. साथ ही इसके खान-पान में भी बहुत कम खर्च आता है.
भैंस की सुरती नस्ल गुजरात के बड़ौदा और कैरा जिलों में पाई जाती है. इसका रंग भूरा और सिल्वर ग्रे होता है साथ ही त्वचा काले या भूरे रंग की होती है. इसके आकार की बात करें तो यह मध्यम आकार, नुकीला धड़, लंबा सिर, उभरी हुई आंखें और हंसिया के आकार की सींग होती है. सुरती नस्ल की भैंस एक ब्यांत में औसतन 1700 से 18000 लीटर दूध देती है. साथ ही इसके दूध में वसा की मात्रा 8-12 प्रतिशत होती है. जो डेयरी उत्पाद के लिए बहुत अच्छी मानी जाती है. इसके दूध से बने उत्पादों की मांग बाजारों में बहुत अधिक है.
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इस नस्ल की भैंसों को आवश्यकतानुसार भोजन देने की जरूरत होती है. इस नस्ल की भैंसों को अधिक खाना ना दें. फलीदार चारा खिलाने से पहले उसमें तूड़ी या अन्य चारा जरूर मिला देना चाहिए. ताकि कोई अव्यवस्था या बदहजमी न हो.
दाने - मक्की/गेहूं/जौ/जई/बाजरा
तेल बीजों की खल - मूंगफली/तिल/सोयाबीन/अलसी/बड़ेवें/सरसों/सूरजमुखी
बाइ प्रोडक्ट - गेहूं का चोकर/चावलों की पॉलिश/बिना तेल के चावलों की पॉलिश
अच्छे प्रदर्शन के लिए पशुओं को अनुकूल पर्यावरणीय परिस्थितियों की आवश्यकता होती है. पशुओं को भारी बारिश, तेज धूप, बर्फबारी, ठंड और परजीवियों से बचाने के लिए शेड की आवश्यकता होती है. सुनिश्चित करें कि चुने गए शेड में स्वच्छ हवा और पानी की सुविधा होनी चाहिए. भोजन के लिए जगह पशुओं की संख्या के अनुसार बड़ी और खुली होनी चाहिए, ताकि वे आसानी से भोजन कर सकें.
पशुओं के अच्छे रखरखाव से बेहतर उत्पादन और अधिक दूध की पैदावार आसानी से ली जा सकती है. ऐसे में जरूरी है कि गर्भवती भैंस को 1 किलो चारा अधिक दें, क्योंकि इस समय उनका शारीरिक विकास भी होता है.