Goat Farming: बकरी पालकों की आमदनी बढ़ाने के लिए तैयार होगा रिसर्च आधारित रोडमैप, पढ़ें डिटेल

Goat Farming: बकरी पालकों की आमदनी बढ़ाने के लिए तैयार होगा रिसर्च आधारित रोडमैप, पढ़ें डिटेल

केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), फरह, मथुरा के डायरेक्टर की मानें तो देश में बकरियों की कुल संख्या 15 करोड़ है. और करीब 3.5 करोड़ बकरी पालक इनकी देखभाल करते हैं. AICRP परियोजना बकरी पालन के क्षेत्र में रोजगार और आमदनी बढ़ाने में मील का पत्थर साबित होगी. 

एआईसीआरपी की बैठक में मौजूद गोट एक्सपर्ट.
नासि‍र हुसैन
  • NEW DELHI,
  • Mar 20, 2024,
  • Updated Mar 20, 2024, 10:42 AM IST

बकरियों से जुड़ी परेशानियों को दूर करने के लिए रिसर्च का सहारा लिया जाएगा. करोड़ों बकरी पालकों की आमदनी को बढाने पर जोर दिया जाएगा. इसके लिए एक रोडमैप तैयार करने पर चर्चा की गई है. रोडमैप रिसर्च आधारित होगा. इतना ही नहीं बकरी सुधार और रिसर्च संबंधित अखिल भारतीय बकरी सुधार शोध समन्वय परियोजना (AICRP) में अन्य  नस्लों की बकरियों को भी शामिल किया जाए. ये कहना है भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उप महोनिदेशक (पशु विज्ञान) डॉ0 राघवेन्द्र भट्टा का. उन्होंने ये बात AICRP की 2021-22 और 2022-23 की समीक्षा बैठक के दौरान कही. 

बैठक का आयोजन केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), फरह, मथुरा में किया गया था. गौरतलब रहे इस वक्त इस परियोजना में देश की 16 प्रमुख बकरियों की नस्ल शामिल हैं. इनका पालन देश के 21 राज्यों में किया जा रहा है. देश में बकरियों की रजिस्टर्ड नस्ल की संख्या 39 है. यह परियोजना भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा वित्त पोषित और भारत के विभिन्न कृषि एवं पशु विश्वविद्यालयों के सहयोग से और केन्द्रीय बकरी अनुसंधान परिषद द्वारा चलायी जा रही है. 

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AICRP के तहत इन बकरियों के सुधार पर हो रहा है काम 

सीआईआरजी के डायरेक्टर डॉ. मनीष कुमार चेटली का कहना है कि AICRP परियोजना के तहत कुछ खास नस्ल की बकरियों के सुधार पर काम किया जाता है. इसमे नस्ल आधारित रिसर्च भी शामिल है. अभी परियोजना में 16 नस्ल की बकरियां शामिल हैं. परियोजना में शामिल बकरियों में बरबरी, जमुनापारी, बीटल, सिरोही, गद्दी, चागथागी, ओस्मनावादी, संगमनेरी, मालावारी, गजांम, ब्लैक बंगाल, आसामहिल, बुन्देलखण्डी, पन्तजा, अंडमानी नस्ल की शामिल हैं. सीआईआरजी में दो दिन चली समीक्षा बैठक के दौरान इस बात पर भी चर्चा की गई कि परियोजना में और दूसरी नस्ल की बकरियां भी शामिल की जाएं. सीआईआरजी में खासतौर से परियोजना में शामिल बरबरी और जमुनापारी नस्ल की बकरियों के सुधार पर काम किया जा रहा है. 

नस्ल सुधार के लिए इन बिन्दुओं पर बनेगा रोडमैप 

मनीष चेटली ने बताया कि भारत में बकरियों की कुल 39 नस्ल रजिस्टर्ड हैं. इसमे से करीब 50 फीसद बकरियों की नस्ल AICRP परियोजना में शामिल हैं. बैठक के दौरान देश की 16 प्रमुख बकरियों की नस्लें जो देश के 21 अलग-अलग राज्यों में पाली जा रही हैं के बारे में चर्चा की गई. एक्सपर्ट ने बताया कि परियोजना के तहत हमे बकरियों में नस्ल सुधार स्थायी आनुवांशिक सुधार उनका संवर्धन, प्रबंधन के तरीके, तकनीकी और प्रशिक्षण विकास द्वारा बकरियों की गुणवत्ता और उत्पादकता, विकास बढ़ाने पर काम किया जाए.

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साथ ही इस काम में बकरी पालकों की भागीदारी भी बढ़ाई जाए. इसके लिए रिसर्च की मदद लेने की बात भी कही गई. साथ ही ऐसी तकनीक का विकास करें जिन्हें बकरी पालक आसानी से अपना सकें. उन्होंने प्रत्येक बकरी की नस्लों की प्रमुख समस्याओं और उनके समाधान के लिए रोड़ मैप बनाने पर भी जोर दिया.

 

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