छुट्टा पशु सड़कों पर वाहन चालक और खेतों मे किसानों के लिए बड़ी परेशानी बन चुके हैं. देश के कई बड़े राज्य इस परेशानी से जूझ रहे हैं. छुट्टा पशु खेतों में खड़ी पकी फसल को बर्बाद कर रहे हैं. इतना ही नहीं सड़कों पर छुट्टा पशु के चलते ही एक्सीडेंट हो रहे हैं जिसमे वाहन चालकों की मौत तक हो जा रही है. हर पीडि़त राज्य अपने हिसाब से छुट्टा पशुओं से निपटने के इंतजाम कर रहा है. लेकिन परेशानी खत्म होना तो दूर की बात कम होने तक का नाम नहीं ले रही है.
इसी के चलते ही राजस्थान सरकार ने छुट्टा पशुओं से निपटने के लिए एक योजना पर काम शुरू कर दिया है. परेशानी को जड़ से खत्म करने के लिए सरकार पशुपालकों को भी मदद देगी. राजस्थान के पशुपालन विभाग से जुड़े जानकारों की मानें तो सरकार इस परेशानी से निपटने के लिए सेक्स सोर्टेड सीमन तकनीक की मदद लेने जा रही है.
राजस्थान सरकार एक पंथ दो काज वाली कहावत पर एक योजना की शुरुआत कर रही है. इस योजना से जहां राज्य को छुट्टा पशुओं से छुटकारा मिलेगा वहीं पशुओं की नस्ल में भी सुधार होगा. इतना ही नहीं मादा पशुओं की संख्या भी बढ़ जाएगी. इसके लिए राज्य में सेक्स सोर्टेड सीमन तकनीक को बढ़ावा देने की शुरुआत हो चुकी है. इस तकनीक से बछड़ी पैदा होने की उम्मीद 85 से 90 फीसद तक रहती है. हालांकि ये तकनीक कुछ वक्त पहले तक बहुत महंगी थी. एक डोज की कीमत 800 से 12 सौं-13 सौ रुपये तक थी. लेकिन अब देश में स्वदेशी तकनीक से इसे बनाया जा रहा है. जिसके चलते इसकी कीमत घटकर अब 250 रुपये पर आ गई है. इसमे भी राजस्थान सरकार ने 75 फीसद तक अनुदान देने की बात कही है. यानि सिर्फ 63 रुपये में पशुपालक को सेक्स सोर्टेड सीमन की एक डोज मिलेगी.
पशुपालन विभाग की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक सेक्स सोर्टेड सीमन तकनीक का इस्तेमाल बढ़ने से ज्यादा से ज्यादा बछिया पैदा होंगी. सांड की संख्या घटती चली जाएगी. बछिया होगी तो पशुपालक को दूध मिलेगा और वो बछिया को बाड़े पर ही रखेगा. जबकि सड़कों पर बड़ी संख्या में सांड घूमते हैं. वैसे भी सांड की जरूरत कम हो चुकी है. खेतों में बैलों का इस्तेमाल अब न के बराबर ही रह गया है. बैल अब ट्रांसपोर्ट के लिए भी इस्तेमाल नहीं किया जाता है.
पशुपालान और डेयरी विभाग की एक रिपोर्ट के मुताबिक 50.21 लाख छुट्टा गाय-बैल देश की सड़कों पर घूम रहे हैं. इसमे से सबसे बड़ी संख्या 12.72 लाख गाय-बैल अकेले राजस्थान में घूम रहे हैं. जबकि यूपी में 11.84 लाख गाय-बैल सड़कों पर छुट्टा घूम रहे हैं. मध्य प्रदेश में 8.53 लाख गाय-बैल, गुजरात में 3.44 गाय-बैल और छत्तीासगढ़ में 1.85 लाख गाय-बैल सड़क पर छुट्टा घूम रहे हैं.
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