Animal Care: खुजली से भी बिगड़ती है गाय-भैंस की सेहत और दूध उत्पादन, पढ़ें उपाय

Animal Care: खुजली से भी बिगड़ती है गाय-भैंस की सेहत और दूध उत्पादन, पढ़ें उपाय

खुजली जैसी मामूली बीमारी भी गाय-भैंस समेत सभी तरह के पशुओं को परेशान करती है, इसीलिए एनिमल एक्सपर्ट हर रोज पशु का खरहेरा (ब्रश से मालिश) करने की सलाह देते हैं. क्योंकि खुजली होने पर पशु ना सिर्फ मानसिक और शारीरिक रूप से परेशान होता है, बल्कि  उसका उत्पादन भी घट जाता है. 

ज्यादा दूध देने वाली भैंसों की नस्लज्यादा दूध देने वाली भैंसों की नस्ल
नासि‍र हुसैन
  • NEW DELHI,
  • Jul 25, 2024,
  • Updated Jul 25, 2024, 12:27 PM IST

वैसे तो मानसून शुरू होते ही इंसान ही नहीं पशुओं को भी भीषण गर्मी और हीट वेव से राहत मिल जाती है. लेकिन तनाव की बात करें तो बारिश के दिनों में पशुओं का तनाव और बढ़ जाता है. कई तरह की छोटी-बड़ी बीमारियां पशुओं को बरसात में होती हैं. कुछ बीमारी तो दिखने में बहुत मामूली सी लगती हैं, लेकिन वो पशु की सेहत के साथ-साथ गाय-भैंस के दूध उत्पादन पर भी असर डालती हैं. बारिश के दिनों में पशुओं को होने वाली खुजली इनमे से एक है. अक्सर बरसात के दिनों में जलभराव की समस्या के चलते पशुओं में मच्छर-मक्खी की वजह से खुजली हो जाती है. 

खुजली के चलते पशु दिमागी और शारीरिक तौर पर परेशान हो जाते हैं. यही तनाव उनके उत्पादन पर भी असर डालता है. एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि कभी भी खुजली को मामूली बीमारी नहीं समझना चाहिए. इसके चलते ही कई बार पशुओं में गंभीर घाव तक हो जाते हैं. कई बार तो टिटनेस जैसा इंफेक्शन भी हो जाता है. क्योंकि खुजली दूर करने के चक्कर में पशु कई बार अपने आप को चोटिल भी कर लेते हैं. 

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दीवार, तार-पेड़ से ना रगड़ने दें पशु को 

डेयरी एक्सपर्ट डॉ. एसए रिजवी ने किसान तक को बताया कि गाय-भैंस, भेड़-बकरी, घोड़ा, ऊंट और याक समेत और भी दूसरे पालतू पशुओं को खासकर बरसात के दिनों में खुजली की बीमारी हो जाती है. हमारे यहां पशु की बात तो छोडि़ए इंसानों में भी इसे बेहद मामूली समझा जाता है. यही वजह है कि जब तक खुजली पशु में घाव या किसी बड़े इंफेक्शन का रूप नहीं ले लेती है तब तक पशुपालक उस पर गौर नहीं करते हैं. हालांकि शरीर के कुछ हिस्सों की खुजली को तो सभी छोटे-बड़े पशु खुद से ही दूर करने की कोशिश करते हैं. लेकिन शरीर के कुछ ऐसे हिस्से में खुजली होने लगती है जहां जानवर अपने पैर या पूंछ का इस्तेमाल नहीं कर पाता है.

अब अगर ऐसे में वो पशु शेड में खूंटे से बंधा है तो उसके लिए ये और भी मुश्कि ल वाला वक्त होता है. इस दौरान पशु अपने आसपास ऐसी चीज तलाश करता है जिससे वो अपनी खुजली दूर कर सके. और अगर पशु खुला हुआ है तो फिर वो कभी पेड़ से, कभी दीवार से तो कभी लोहे के तार की बाड़ से अपनी शरीर को रगड़कर खुजली दूर करने की कोशिश करता है. ऐसा करने के चलते ही पशु कई बार लोहे के तार या कांटों वाले झाड़ से खुजाकर अपने को घायल कर लेता है. लोहे के तार से पशु के शरीर पर जख्म हो जाता है. जंग लगे लोहे से घाव होने पर पशु के शरीर में टिटनेस का इंफेक्शन फैल जाता है. 

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पशु के खाने-पीने पर भी असर दिखाती है खुजली 

डॉ. रिजवी का कहना है कि पशु छोटा हो या बड़ा जब उसे खुजली होती है तो उसका असर उसके दिमाग पर भी होता है. पशु परेशान रहने लगता है. वो ठीक से अपनी खुराक भी नहीं खा पाता है. पशु पूरी तरह से तनाव में आ जाता है. और इन्हीं सब परेशानियों के चलते ही पशु का दूध उत्पादन कम हो जाता है. 

खरहेरा के साथ इन ब्रश कर सकते हैं इस्तेमाल 

डॉ. रिजवी ने बताया पशु को खुजली हो या ना हो, लेकिन दिन में एक बार पशु का खरहेरा जरूर करना चाहिए. ऐसा करने से पशु को बड़ा आराम मिलता है. पशु का तनाव भी दूर होता है. एक ब्रश की मदद से खरहेरा किया जा सकता है. अब तो बाजार में इस तरह के ब्रश भी आ रहे है जिनकी मदद से पशु खुद ही अपने शरीर की मालिश कर लेते हैं. बाजार में ब्रश की कीमत 40 हजार रुपये से लेकर एक लाख रुपये तक है. बाजार में मैक्सी, मिडी, मिनी और टोटम चार तरह के ब्रश मौजूद हैं. 

 

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