प्रोडक्शन और रिप्रोडक्शन, इन दोनों के लिए ही छोटे-बड़े पशु पाले जाते हैं. गाय-भैंस हो या भेड़-बकरी चारों से ही उनके दूध और बच्चों को बेचकर मुनाफा कमाया जाता है. लेकिन दूध तब ही मिलेगा जब पशु बच्चा देगा. और पशु से बच्चा लेने के लिए ये जरूरी है कि वो वक्त से हीट में आए और समय रहते उसका पता चल जाए. तब ही पशु गाभिन होगा और एक या दो हेल्दी बच्चे देगा. एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो कई बार ये पता लगाना मुश्किल हो जाता है कि पशु कब हीट में आ रहा है.
कभी-कभी तो पशु हीट में आता है और पशुपालक को पता भी नहीं चल पाता है. खासतौर पर बकरी की हीट के बारे में पता लगाने के लिए दो खास तरीके अपनाए जा सकते हैं. बिना पैसा खर्च किए ये दो तरीके अपनाकर आसानी से बकरी के हीट में आने के बारे में पता लगाया जा सकता है. हालांकि जो लोग अपने पशु से संबंधित डाटा रखते हैं उनके लिए ये थोड़ा आसान है, लेकिन एक फिक्स टाइम का पता लगाने के लिए ऐसे लोगों को भी परेशानी उठानी पड़ती है.
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गोट फार्मिंग करने वाले फहीम खान बताया कि अगर बकरी सुबह हीट में आई है तो उसे शाम तक एक अच्छे ब्रीडर से या फिर आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन जो भी उस वक्त सुराक्षित हो से गाभिन करा देना चाहिए. और अगर शाम को हीट में आ रही है तो अगले दिन सुबह तक गाभिन करा दें. इसका एक फायदा ये है कि वक्त से बकरी को गाभिन कराने से बच्चा जल्दी मिल जाता है. वर्ना दोबारा हीट में आने के लिए 15 से 20 दिन का वक्त लग जाता है. अब बच्चा जल्दी आएगा तो दूध भी जल्दी देगी. नहीं तो बकरी को बिना दूध के भी हर रोज चारा खिलाना पड़ता है जो लागत को बढ़ा देता है.
फहीम खान का कहना है कि बकरी की हीट के बारे में पता लगाने के दो आसान और बिना खर्च के तरीके हैं. पहला जिन बकरियों के बारे में ये पता हो कि इनके हीट में आने की संभावना है तो उनका झुंड अलग बना दें. फिर उस झुंड में ब्रीडर बकरे को कंट्रोल करते हुए बकरियों के बीच में छोड़ दें. बकरा हीट में आई बकरी को सूंघकर अपना व्यवहार बदलने लगता है. इससे पता चल जाता है कि ये बकरी हीट में आ चुकी है. दूसरा ये कि जो खस्सी बकरा है जो ब्रीडर नहीं बन सकता और प्रसनन नहीं कर सकता है उसे बकरियों के झुंड में छोड़ा जा सकता है. वो भी फौरन बदले हुए व्यवहार में आ जाता है और आसानी से हीट में आई बकरी के बारे में पता चल जाता है.
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