Pashudhan Bima Yojana: 2022-23 में एक भी पशु का नहीं हुआ बीमा, अब जल्द होगा बड़ा बदलाव

Pashudhan Bima Yojana: 2022-23 में एक भी पशु का नहीं हुआ बीमा, अब जल्द होगा बड़ा बदलाव

वर्तमान में, देश के 1% से भी कम मवेशियों का बीमा किया जाता है और औसत वार्षिक प्रीमियम बीमा राशि का 4.5% है. ऐसे में इसकी संख्या को कैसे बढ़ाया जाए इस पर काम किया जा रहा है. देश में फसल बीमा से लेकर पशु बीमा तक की सुविधा किसानों को दी गयी है. लेकिन देश में आज भी पशुओं के बीमा का आंकड़ा बेहद कम है जो अपने आप में एक चिंता का विषय है.

पशुधन बीमा योजना को आसान बनाने की सिफारिशपशुधन बीमा योजना को आसान बनाने की सिफारिश
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Apr 10, 2023,
  • Updated Apr 10, 2023, 3:37 PM IST

किसानों की सुविधा के लिए सरकार कई तरह की योजनाएं चलाती है ताकि किसानों को इसका लाभ मिल सके. लेकिन आज भी देश में ऐसे किसानों की संख्या बहुत अधिक है जिन्हें ऐसी योजनाओं की जानकारी तक नहीं है. पशुधन बीमा योजना उन्हीं योजनाओं में से एक है. यह एक ऐसी योजना है जिसके बारे में अधिकांश किसानों और पशुपालकों को पता तक नहीं है. ऐसा हम नहीं आधिकारिक आंकड़े बता रहे हैं. पैनल द्वारा दी गई एक रिपोर्ट के अनुसार, 2022-23 के दौरान एक भी पशुधन का बीमा नहीं किया गया, जो अपने आप में एक चिंता का विषय है.

हाल ही में इसको लेकर कई खबरें सामने आ रही है. 2022-23 में पशुधन के शून्य बीमा कवरेज के लिए हाल ही में एक संसदीय स्थायी समिति (PSC) द्वारा एक मुद्दा उठाया गया है. केंद्र प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की तरह ही एक पशुधन बीमा योजना को शुरू करने पर विचार कर रही है. केंद्रीय पशुपालन मंत्रालय इस योजना को 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले लागू करना चाहता है. खबरों के मुताबिक ऐसा बताया जा रहा है कि अनुसूचित जाति (एससी)-अनुसूचित जनजाति (एसटी) समुदायों के पशुपालकों के लिए प्रीमियम माफ करने के प्रारंभिक प्रस्ताव है.

वर्तमान में, देश के 1% से भी कम मवेशियों का बीमा किया जाता है और औसत वार्षिक प्रीमियम बीमा राशि का 4.5% है. ऐसे में इसकी संख्या को कैसे बढ़ाया जाए इस पर काम किया जा रहा है. देश में फसल बीमा से लेकर पशु बीमा तक की सुविधा किसानों को दी गयी है. लेकिन देश में आज भी पशुओं के बीमा का आंकड़ा बेहद कम है जो अपने आप में एक चिंता का विषय है.

विभिन्न बीमा कंपनियों के साथ पशुपालन मंत्रालय ने की बैठक

ऐसे में पशुपालन मंत्रालय ने हाल ही में इस मामले पर विभिन्न बीमा कंपनियों और अन्य हितधारकों के साथ बैठक की है. एक अधिकारी ने कहा, "हमारा प्रयास प्रीमियम को कम करने का है ताकि अधिक से अधिक किसान/पशुपालक इस योजना का लाभ उठा सके." उन्होंने कहा कि एक व्यापक पशुधन बीमा वर्तमान पशुधन बीमा योजना की जगह लेगा. यह योजना देश के 100 जिलों में चल रही है. केंद्र प्रायोजित योजना का देख-रेख राज्य पशुधन विकास बोर्डों द्वारा किया जा रहा है.

2022-23 के दौरान एक भी पशुधन का नहीं किया गया बीमा

पैनल ने रिपोर्ट में कहा कि 2022-23 के दौरान एक भी पशुधन का बीमा नहीं किया गया, जबकि 2021-22 के दौरान 1,74,061 पशुओं का बीमा किया गया था. समिति पशुपालकों को अपने पशुओं का बीमा करवाने में आने वाली कठिनाइयों और पशुधन बीमा की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए किए जा रहे उपायों के बारे में बताया. समिति ने 2022-23 के दौरान बीमा ना होने पर चिंता व्यक्त करते हुए लाभार्थियों के लिए पशुधन के बीमा की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए मंत्रालय को प्रभावी कदम उठाने की सिफारिश की है. “समिति ने कहा कि वह यह भी चाहेगी कि विभाग पशुधन मालिकों के लिए एक ऐप-आधारित पशुधन बीमा सुविधा विकसित करने की संभावना तलाशे. समिति इस संबंध में विभाग द्वारा की गई समग्र प्रगति से अवगत होना चाहेगी.

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केंद्र बीमा कंपनियों के साथ बैठकर बना सकती है योजना

अधिकारी ने कहा कि उच्च नीति प्रीमियम दर और किसानों की सामान्य आर्थिक स्थिति ऐसी योजनाओं में कम नामांकन का कारण है. अधिकारी ने कहा, "सरकार एससी-एसटी समुदायों के सामाजिक रूप से हाशिए पर रहने वाले किसानों द्वारा भुगतान किए गए प्रीमियम पर सब्सिडी पर विचार करती है." केंद्र ने बीमा कंपनियों के साथ बैठक में योजना का दायरा बढ़ाने और किसानों द्वारा भुगतान किए जाने वाले प्रीमियम को कम करने के महत्व पर जोर दिया.

लंपी रोग के दौरान इतने पशुओं की हुई मौत

लंपी रोग महामारी के दौरान देश में करीब दो लाख मवेशियों की मौत हो गई. किसानों ने सरकार से नुकसान के मुआवजे की मांग की थी. केंद्र का प्रयास प्रीमियम कम रखना और पशुधन का अधिकतम कवरेज सुनिश्चित करना है. “वर्तमान में कवरेज बहुत खराब है क्योंकि अधिकांश किसान प्रीमियम का भुगतान करने की स्थिति में नहीं हैं. कुछ बेहतरीन मवेशियों की नस्लों का बीमा प्रजनकों द्वारा किया जाता है, लेकिन सरकार अधिक पशुओं का बीमा करना चाहती है, ”अधिकारी ने कहा. कई किसान संगठनों ने गांठदार त्वचा रोग जैसी महामारियों की पृष्ठभूमि में व्यापक पशुधन और फसल बीमा की भी मांग की.

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