Goat Farming: सर्दी के मौसम में बकरियों को जरूर लगवाएं ये दो टीके, वर्ना फैल जाएंगी बीमारी 

Goat Farming: सर्दी के मौसम में बकरियों को जरूर लगवाएं ये दो टीके, वर्ना फैल जाएंगी बीमारी 

सीआईआरजी के गोट एक्सपर्ट की मानें तो सर्दी शुरू होते ही सबसे पहले तो बकरियों के आवास में बदलाव करना चाहिए. बकरियों के शेड को इस तरह से ढक दें कि उसमे ठंडी हवाएं आसानी से न आएं. दूसरा यह कि सुबह 10 बजे के बाद और शाम को चार-पांच बजे तक बकरियों और उनके बच्चों को खुले में चराएं. 

नासि‍र हुसैन
  • नई दिल्ली,
  • Dec 12, 2023,
  • Updated Dec 12, 2023, 11:17 AM IST

सर्दी-गर्मी हो या बरसात, हर तरह के मौसम में बकरियों को खास देखभाल की जरूरत होती है. कई तरह की बीमारियों से बचाने के लिए कहीं बाड़े में खास रखरखाव किया जाता है तो टीके भी लगवाए जाते हैं. सर्दी के इस मौसम में भी बकरियों को दो खास तरह के टीके लगवाने होते हैं. अगर ऐसा नहीं किया गया तो बकरियों के बाड़े में बीमारी फैल सकती है. ये जानलेवा बीमारी होती है. ये कहना है केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा के प्रिंसीपल साइंटिस्ट डॉ. अशोक कुमार का. 

उनका कहना है कि बकरियों को टीके लगवाने के साथ ही बकरियों के शेड में भी खास तरह के इंतजाम करने होंगे. वर्ना इस मौसम में बकरियों के छोटे बच्चों को निमोनिया अपनी चपेट में ले लेता है. इसलिए दूसरे मौसम की तरह से सर्दियों में भी बकरियों और उनके बच्चों को खास देखभाल की जरूरत होती है.

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जानें क्या है बकरी का प्लेग और चेचक

डॉ. अशोक कुमार ने किसान तक को बताया कि पीपीआर बकरियों की बहुत ही घातक बीमारी है. इसे बकरियों का प्लेग भी कहा जाता है. ये एक विषाणु जनित बीमारी है इसलिए ये दूसरी बकरियों में भी बहुत तेजी से फैलती है. इसके साथ ही इसी मौसम में बकरियों के बीच चेचक भी फैलती है. चेचक के दौरान बकरियों के शरीर पर चकते से बन जाते हैं. इसलिए ये जरूरी है कि सर्दी शुरू होते ही बकरियों को पीपीआर और चेचक का टीका लगवा दिया जाए. अगर पशुपालकों ने अभी तक टीका नहीं लगवाया है तो अब लगवाने में जरा सी भी देरी ना करें. कयोंकि ये बीमारी अगर एक बकरी में हो गई तो फिर दूसरी बकरियों के बीच बड़ी तेजी से फैलती है. 

बकरी प्लेग और चेचक की यह है बड़ी पहचान 

केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थांन के सीनियर साइंटिस्ट डॉ. के. गुरुराज ने किसान तक को बताया कि प्लेग की पहचान यह है कि बकरी को दस्त होने लगते हैं. निमोनिया होने से नाक भी बहने लगती है. तेज बुखार आता है. बड़ी बकरियों से ही यह बीमारी उसके बच्चों में भी फैलने लगती है. इसी तरह से बकरी को चेचक होने पर निमोनिया होता है और तेज बुखार आने लगता है. बकरी चारा खाना छोड़ देती है. बच्चे भी दूध कम ही पीते हैं. 

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बकरी प्लेग और चेचक होने पर करें यह उपाय 

डॉ. के. गुरुराज ने बताया कि बकरी प्लेग और चेचक का सबसे बड़ा उपाय तो यही है कि इसके होने पर हम इसके भारी-भरकम खर्च से बचें. और यह इस तरह संभव है कि हम प्लान के मुताबिक बकरियों को प्लेग और चेचक के टीके लगवाते रहें. क्योंकि टीके लगवाने का खर्च जहां बहुत ही मामूली होता है और सरकारी केन्द्रों पर तो यह फ्री में ही लग जाते हैं. वहीं अगर यह बीमारी बकरियों को लग जाए तो इलाज में काफी पैसा खर्च हो जाता है. यूपी में तो बार्डर वाली जगहों पर यह टीके फ्री में लगाए जाते हैं. साथ ही एक जरूरी कदम यह भी उठाएं कि अगर बकरी को प्लेग या चेचक हो जाए तो उसे फौरन ही दूसरी बकरियों से अलग कर दें.

 

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