बिहार में बकरी पालन के लिए चुनें ये नस्‍ल, जलवायु के हिसाब से एकदम फिट, होगा अच्‍छा मुनाफा

बिहार में बकरी पालन के लिए चुनें ये नस्‍ल, जलवायु के हिसाब से एकदम फिट, होगा अच्‍छा मुनाफा

बिहार में पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. इसी क्रम में भेड़ बकरी पालन को भी राज्‍य सरकार प्रोत्‍साहन दे रही है. ऐसे में बिहार में किन नस्‍लों की बकरी पालकर अच्‍छा मुनाफा कमाया जा सकता है. यहां जानिए...

बकरी पालन (सांकेतिक तस्वीर)बकरी पालन (सांकेतिक तस्वीर)
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Oct 12, 2024,
  • Updated Oct 12, 2024, 2:32 PM IST

भारत में खेती के साथ-साथ पशुपालन किसानों की आय का बड़ा जरिया है. खेती में नुकसान होने पर किसानों को पशुपालन से आय का सहारा मिल जाता है. गांवों में तो पशुपालन शुरू से ही मुख्‍य व्‍यवसायों में से एक रहा है, लेकिन अब शहरों में भी इसमें लोग रुच‍ि ले रहे हैं. पशुपालन में बकरी पालन का व्‍यवसाय काफी मुनाफा दे रहा है, ऐसे में गांव और शहरों में तेजी से बकरी पालन में लोगों का रुझान बढ़ रहा है. इसी क्रम में बिहार में भेड़-बकरी पालन के लिए सब्सिडी और लोन वाली योजना चला रही है, जिससे गरीब, कमजोर त‍बके के लोगों का उत्‍थान हो सके.

एक्‍सपर्ट्स की मानें तो बकरी पालन के लिए जलवायु के हिसाब से सही नस्‍ल का चयन बेहद जरूरी है. जलवायु के हिसाब से सही नस्‍ल का चयन न करने से पशुओं के ज्‍यादा गर्मी या ज्‍यादा सर्दी पड़ने पर मौत का खतरा रहता है. ऐसे में आज हम आपको बिहार के लिहाज से ऐसी बकरी की नस्‍ल की जानकारी देने जा रहे हैं, जो यहां के जलवायु में ढलने के लिए उपयुक्‍त है और पशुपालकों या किसानों को इन्‍हें पालने से अच्‍छा मुनाफा हो सकता है. 

देखभाल की लागत बेहद कम

बकरी की ब्लैक बंगाल नस्ल, बीटल जखराना, और बरबरी नस्ल पशुपालन बिजनेस के लिए बिहार में एकदम फिट है. यहां देसी नस्ल की बकरी पालना सबसे ज्‍यादा फायदेमंद है. इनमें से भी सबसे बेस्‍ट चॉइस ब्लैक बंगाल बकरी है, जो मौसम में जल्दी ढल जाएंगी. ब्लैक बंगाल नस्‍ल की बकरियों के रख-रखाव में लागत ज्‍यादा नहीं आती है. इन्‍हें देखभाल की कम जरूरत पड़ती है. यह नस्‍ल पश्चिम बंगाल में अत्‍यधिक लोकप्रि‍य है.

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10 महीने में बड़े हो जाते हैं मेमने

इस नस्ल की बकरी अपने जीवनकाल में 50 से 57 लीटर तक दूध देती है. इस नस्‍ल की बकरी दो साल में तीन बार (मेमने) बच्‍चे को जन्‍म देती है, जो 10 महीने में बड़े हो जाते हैं और बेचने लायक हो जाते हैं. इनका वजन (बकरे का) 18-20 किलोग्राम के बीच होता है, जबकि‍ बकरी का वजन नर थोड़ा कम (15-18) किलोग्राम के बीच होता है. 

ब्‍लैक बंगाल नस्‍ल की बकरी की खुराक ज्‍यादा नहीं होती है, जिससे पैसे की बचत होती है. यह हरी घास, पेड़ों के पत्ते बड़े ही चाव से खाती है. इन्‍हें रोजाना तीन किलो तक हरा चारा दिया जा सकता है. वहीं, इसके अलावा 300 ग्राम दाना भी डाला जा सकता है. खेत, मैदान में चरने वाली बकरियों को 100 ग्राम देना उचित है.

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