भारत तीसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है, जो वैश्विक मछली उत्पादन में 8 प्रतिशत का योगदान देता है और जलीय कृषि उत्पादन में दूसरे स्थान पर है. 2021-22 के आंकड़ों के अनुसार मछली उत्पादन 16.24 मिलियन टन है, जिसमें 4.12 मिलियन टन समुद्री मछली उत्पादन और जलीय कृषि से 12.12 मिलियन टन शामिल है. ऐसे में मछली पालन को अधिक से अधिक बढ़ावा मिल सके और छोटे स्तर पर भी मछलियों का पालन किया जा सके इसी क्रम में केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना की शुरुआत की है. इस योजना के तहत छोटे मछुआरों को बढ़ावा दिया जा रहा है. इस योजना के बाद मछली उत्पादन में भी भारी बढ़ोतरी देखी गई है.
विकास के साथ-साथ मछुआरों को कई चुनौतियों का भी सामना करना पड़ता है. खासकर छोटे स्तर पर मछली पालन करने वाले किसानों को अधिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. आए दिन मछलियों में तरह-तरह की बीमारियां होती रहती हैं जिससे मछुआरों को नुकसान उठाना पड़ता है. जानकारी के अभाव में ना तो वो बीमारी की पहचान कर पाते हैं और ना ही उसका उपाय कर पाते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं मछलियों में रोग के 7 लक्षण और इलाज के 7 आसान उपाय.
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मछली पालन के लिए एक हेक्टेयर तालाब के निर्माण में लगभग 3 से 5 लाख रुपये की लागत आती है. इसमें केंद्र सरकार कुल राशि का 50 प्रतिशत और राज्य सरकार 25 प्रतिशत अनुदान देती है. शेष 25 प्रतिशत का भुगतान मछली पालक को करना होगा. इस प्रकार के तालाबों के लिए भी केंद्र और राज्य सरकारें खर्च के अनुसार अनुदान देती हैं. जिसमें से 25 प्रतिशत मछली पालकों को देना होता है.
मछली पालन में पानी को साफ रखना जरूरी है ताकि मछलियों को बराबर मात्रा में ऑक्सीजन मिल सके. अगर आप मछली पालन कर रहे हैं या करने का मन बना रहें हैं तो रोहू, कतला, मृगल, ग्रास कार्प, कॉमन कार्प, सिल्वर कार्प जैसी मछलियां पाल सकते हैं.