चिकन के लिए ब्रायलर मुर्गे पाले जाते हैं. इसीलिए उसे ब्रायलर पोल्ट्री फार्म कहा जाता है जहां इनका पालन होता है. ब्रायलर पोल्ट्री फार्म का मुनाफा पूरी तरह से मुर्गों के वजन पर निर्भर होता है. वजन के हिसाब से ही इनकी बिक्री होती है. रेट भी वजन के हिसाब से ही तय होते हैं. कम वजन का मुर्गा महंगा और ज्यादा वजन वाला सस्ता होता है. पोल्ट्री एक्सपर्ट का कहना है कि हर एक पोल्ट्री फार्मर की ये कोशिश होती है कि कम से कम लागत में जल्द मुर्गों का वजन बढ़ जाए.
इसके लिए जरूरी है कि मुर्गों को स्ट्रेस (तनाव) फ्री रखा जाए. और ये तभी मुमकिन है जब वो बीमारी रहित रहेंगे. पोल्ट्री फार्म में बायोसिक्योरिटी अपनाकर ब्रायलर फार्म में होने वाली बीमारियों को दूर किया जा सकता है. एक्सपर्ट का कहना है कि दो तरह की बायोसिक्योरिटी अपनाकर ब्रायलर मुर्गों को होने वाली बीमारियों को कंट्रोल किया जा सकता है.
ये भी पढ़ें: Dairy Milk: अब AI तकनीक से घटेगी दूध की लागत और पशुपालकों का बढ़ेगा मुनाफा, जानें कैसे
पोल्ट्री फार्म हाउस की ऐसे करें बायोसिक्योरिटी
- किसी भी बाहरी एंट्री को रोकने के लिए पोल्ट्री फार्म की फैंसिंग कराएं.
- पानी में मिनरल्स, बैक्टीरिया, रासायनिक तत्व की जांच कराएं.
- समय-समय पर फार्म से जुड़े वाहनों की सफाई करवाएं.
- वाहनों के लिए पानी-बिजली की सुविधा वाला कंक्रीट का प्लेटफार्म बनवाएं.
- बैग में बंद दाने को स्टोर करने के लिए जगह को साफ रखें.
- फार्म में वाहन और पैदल चलने के लिए सड़क बनवाएं.
- फार्म के अंदर की सड़क की रोजाना सफाई करवाएं.
- फार्म में मरने वाले पक्षियों का निपटान सही जगह और समय से कराएं.
- पोल्ट्री फार्म में जंगली पक्षियों को ना आने दें.
- प्रदूषण रोकने के लिए चारा, कूड़ा और उपकरण को पक्षी शेड से अलग स्टोर करें.
- चूहों और वन्य जीवों को रोकने के लिए शेड से तीन मीटर तक पेड़-पौधे ना लगाएं.
ये भी पढ़ें: Silage Fodder: साइलेज और हे बनाकर डबल मुनाफा कमा रहे हैं पशुपालक, आप भी जानें तरीका
ब्रायलर पोल्ट्री फार्म में ये उपाय भी करें
- फार्म से मुर्गों की सप्लाई के बाद कैमिकल स्प्रे के साथ सफाई करवाएं.
- फार्म के कर्मचारियों को एंट्री से पहले उनके कपड़े-जूते संक्रमण मुक्त कराएं.
- मुर्गों की सप्लाई के बाद नए चूजे लाने में दो हफ्तों का अंतर रखें.
- फार्म में जैविक, रासायनिक और मशीनों से बैक्टीरिया कंट्रोल करने का मैनेजमेंट प्लान बनाएं.
- ब्रायलर पोल्ट्री फार्म में नए चूजे आने के बाद वैक्सीनेशन प्रोग्राम बनाएं.
- चूजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता जांचने के लिए पोस्टमार्टम की मदद ले सकते हैं.
- ब्रीडर फार्म से तीन और लेअर फार्म से डेढ़ किमी की दूरी हो.
- ब्रायलर फार्म प्रमुख सड़क से दूर होना चाहिए.