लद्दाख में 5 नए बने जिलों में दो का नाम घोड़े और बकरी की नस्ल पर, पढ़ें डिटेल 

लद्दाख में 5 नए बने जिलों में दो का नाम घोड़े और बकरी की नस्ल पर, पढ़ें डिटेल 

लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने की डिमांड के बीच वहां पांच नए जिले बनाए जा रहे हैं. सभी के नाम का ऐलान भी हो चुका है. दो जिलों का नाम घोड़े और बकरी की नस्ल के नाम पर रखा गया है. जिस बकरी के नाम पर रखा गया है उसकी देश ही नहीं विदेशों में भी खास पहचान है. ये बकरी खासतौर पर जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में ही पाली जाती है. 

नासि‍र हुसैन
  • NEW DELHI,
  • Aug 27, 2024,
  • Updated Aug 27, 2024, 5:27 PM IST

हाल ही में केन्द्र सरकार ने लद्दाख में पांच और नए जिले बनाने की मंजूरी दी है. इन्हें मिलाकर अब लद्दाख में कुल सात जिले हो जाएंगे. लेकिन जिन पांच नए जिलों को मंजूरी दी गई है उसमे से दो जिलों के नाम घोड़े और बकरी की नस्ल के नाम पर रखे जा रहे हैं. जबकि, अभी तक लद्दाख में सिर्फ दो ही जिले लेह और कारगिल थे. लेह पर्यटकों का पसंदीदा स्पॉट है तो कारगिल 1999 के बाद से सबकी जुबान पर आ गया. 

गौरतलब रहे अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 खत्म कर दो प्रदेश बनाए गए थे. जिसमे लद्दाख को केन्द्र शासित प्रदेश बनाया गया है. इसी के चलते लद्दाख में नए जिले बनाए गए हैं. जिन पांच जिलों को मंजूरी दी गई है उनके नाम द्रास, नुब्रा, शाम, जांस्कर और चांगथांग हैं. इसमे से जांस्कर और चांगथांग घोड़े और बकरी की नस्ल है. 

ये भी पढ़ें: A2 Ghee Ban: A2 दूध का दावा कर घी बेचने के बैन को FSSAI ने लिया वापस 

पश्मीना के लिए मशहूर है चांगथांग बकरी

गोट एक्सपर्ट बताते हैं कि चांगथांग बकरी के रेशे से तैयार पश्मीना देश ही नहीं विदेशों में भी खास पहचान रखता है. इसे दुनियाभर में कश्मीरी पश्मीना के नाम से जाना जाता है. चांगथांगी बकरी की पहचान ये है कि इसके कान छोटे, नुकीले और बाहर की ओर निकले हुए होते हैं. अगर सींग की बात करें तो सींग बड़े होते हैं जो कभी बाहर की ओर ऊपर और कभी अंदर की ओर मुड़े हुए होते हैं. इनका शरीर छोटे कद का होता है और पैर भी दूसरी बकरियों के मुकाबले छोटे होते हैं. लेकिन शरीर में मजबूती होती है. ये आमतौर पर सफेद, भूरे और काले रंग की होती है. इनका फाइबर बहुत ही ज्यादा गर्म और मुलायत होता है. बकरी हो या बकरा वजन इनका 20 किलो के आसपास ही होता है. जबकि जन्म के दौरान बच्चे का वजन दो किलो तक होता है.

ऊंचाई पर वजन ले जाना है जांस्करी घोड़े की खासियत

लद्दाख के एक नए जिले का नाम जांस्करी भी रखा गया है. इस नाम की नस्ल का यहां घोड़ा भी पाला जाता है. हालांकि लोगों का ये भी कहना है कि जांस्करी नस्ल का घोड़ा इस इलाके से निकला है तो उसका नाम इलाके के नाम पर रखा गया था. जानकारों की मानें तो जांस्करी घोड़ा जम्मू-कश्मीर के लेह और लद्दाख में खासतौर पर पाला जाता है. इसकी पहचान ये है कि इसका रंग ग्रे और काला होता है. घोड़ों को उनके काम करने, पर्याप्त रूप से दौड़ने और ऊंचाई पर वजन ले जाने की क्षमता के लिए पाला जाता है. जांस्करी घोड़े की ऊंचाई 120 से 140 सेमी तक होती है.

ये भी पढ़ें: Goat Meat: अगर आप बकरों को खि‍ला रहे हैं ये खास चारा तो बढ़ जाएगा मुनाफा, जाने वजह

इसकी एक पहचान ये भी है कि इनकी खास बनावट वाली आंखें, भारी-लंबी पूंछ और एक समान चाल भी है. शरीर के बाल पतले, लंबे और चमकदार होते हैं. केन्द्रीय पशुपालन मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक अब सिर्फ छह हजार के करीब ही जांस्करी घोड़े बचे हैं. इनकी संख्या कम होने के पीछे घोड़ों के जानकार बताते हैं कि टट्टूओं के साथ बड़े पैमाने पर प्रजनन होने के चलते ये नस्ल खतरे में आ गई है. इसी को देखते हुए जांस्करी नस्ल सुधार और संरक्षण के लिए लद्दाख के कारगिल जिले में जांस्करी हॉर्स ब्रीडिंग फार्म की स्थापना की गई है.
 

 

MORE NEWS

Read more!