PHOTOS: किसी भी हाल में नहीं घटेगा पशुओं का दूध उत्पादन, अभी करें ये काम

पशुपालन

PHOTOS: किसी भी हाल में नहीं घटेगा पशुओं का दूध उत्पादन, अभी करें ये काम

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जुलाई का महीना दूध देने वाले और जुगाली करने वाले पशुओं के लिए बहुत खास होता है. यह वह समय होता है जब मॉनसून की शुरुआत होती है. भैंसों के प्रजनन के लिए भी जुलाई का महीना बहुत महत्वपूर्ण होता है. जुलाई को ध्यान में रखते हुए पशुपालक अपनी योजना के अनुसार अपने पशुओं को गाभिन कराते हैं. भैंसें इसी महीने में बच्चे देने वाली होती हैं. 

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यह वह महीना होता है जब मौसम में बदलाव होता है. मौसम में बदलाव के साथ ही कई तरह की बीमारियां भी आती हैं. कई बार बरसाती बीमारियां पशुओं के लिए जानलेवा साबित होती हैं.

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इसी के चलते जुलाई में सरकार दुधारू पशुओं के लिए एडवाइजरी जारी करती है. बरसात के मौसम में पशुओं के संक्रमित होते ही सबसे पहला असर दूध उत्पादन पर पड़ता है. पशु गंभीर बीमारियों की चपेट में आकर बीमार भी पड़ जाते हैं. लेकिन, अगर समय रहते कुछ एहतियाती उपाय किए जाएं तो ऐसी परेशानियों और आर्थिक नुकसान से बचा जा सकता है. साथ ही, हमारे पशु भी स्वस्थ रहेंगे.

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जुलाई में बारिश होती है, इसलिए पशुओं के परिसर को सूखा और साफ रखना चाहिए. पशुओं को गर्मी और नमी से होने वाली संक्रामक बीमारियों से बचाना चाहिए. बारिश के कारण जुलाई में परजीवियों और बाहरी परजीवियों का प्रभाव बहुत अधिक होता है. ऐसे में संबंधित बीमारियों की रोकथाम करना बहुत जरूरी है.

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जुलाई में अधिकतर पशुपालक भैंसों से बछड़े लेते हैं, इसलिए पशुपालकों को प्रजनन सावधानियों और नवजात की सुरक्षा के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए. गर्भवती गायों और भैंसों को अलग, साफ, हवादार और सूखे स्थान पर रखना चाहिए. 

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लंबी गर्मी के बाद जब बारिश के बाद अचानक हरा चारा उगता है तो उसमें साइनाइड जहर बनने लगता है. इससे चारा जहरीला हो जाता है. ऐसी फसलों को समय से पहले अपरिपक्व अवस्था में न काटें और पशुओं को न खिलाएं. चारा विशेषज्ञों के अनुसार हरा चारा बोने का सही समय जुलाई है. प्रति एकड़ 25-30 किलो हरा चारा बीज का प्रयोग करें. 

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पशुओं को हर मौसम में खिलाए जाने वाले चारे वाली घास जुलाई में बोई जा सकती है. संतुलित पशु आहार के लिए मक्का, बाजरा, लोबिया और ज्वार एक साथ बोएं. इससे भविष्य में पशुओं के लिए हरे चारे की कमी नहीं होगी.