Dairy Farming: गौपालन के जरिए झारखंड के इस गांव की बदल गई तस्वीर

Dairy Farming: गौपालन के जरिए झारखंड के इस गांव की बदल गई तस्वीर

गांव में बीएमसी खुलने के बाद यहां के ग्रामीण गौपालन से जुड़ते चले गए. ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिला. इसके साथ ही ग्रामीणों को दूध के सही दाम मिले, यही कारण था कि ग्रामीणों के अंदर गौपौलन को लेकर विश्वास जागा और नए किसान भी इससे जुड़ने लगे.

हरही गांव में बना हुआ बीएमसी फोटोः किसान तक
पवन कुमार
  • Ranchi,
  • Mar 15, 2023,
  • Updated Mar 15, 2023, 6:00 PM IST

दूध उत्पादन और गौपालन से गांव की तस्वीर सुधर सकती है और ग्रामीणों को जीवन में बदलाव आ सकता है. ग्रामीणों के जीवन स्तर में सुधार आ सकता है, शिक्षा की स्थिति में सुधार आ सकता है. झारखंड की राजधानी रांची जिले के नगड़ी प्रखंड के हरही गांव के ग्रामीणों ने इसे सच कर करके दिखा दिया है. गांव को हरिगांव भी कहा जाता है. गांव में आज काफी बदलाव दिखता है. इस बदलाव के शुरुआत की नींव गांव में साल 2014 में पड़ गई थी, जब यहां पर पहली बार बल्क मिल्क कूलिंग सेंटर (बीएमसी) की स्थापना की गई थी. 

गांव में बीएमसी खुलने के बाद यहां के ग्रामीण गौपालन से जुड़ते चले गए. ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिला. इसके साथ ही ग्रामीणों को दूध के सही दाम मिले, यही कारण था कि ग्रामीणों के अंदर गौपालन को लेकर विश्वास जागा और नए किसान भी इससे जुड़ने लगे. गांव के ग्रामीण बताते हैं कि गांव में पहले से भी पशुपालन करते थे, लेक‍िन उस वक्त उससे उतनी कमाई नहीं होती थी. क्योंकि पहले ग्रामीण उसका प्रबंधन सही से नहीं करते थे, लेक‍िन जब यहां पर बीएमसी खुल, दूध की मांग से साथ-साथ इसके अच्छे दाम भी मिलने लगे.

शिक्षा के स्तर में आया सुधार

गांव के गौपालक किसान विशेश्वर साही ने कहा की गांव के ग्रामीणों ने गौपालन की शुरुआत की उसके बाद से गांव के शिक्षा के स्तर में काफी सुधार हुआ है. एक दशक पहले तक गांव में जहां एक मैट्रि‍क पास युवक नहीं मिलते थे, आज गांव में अधिकांश स्नातक पास युवक मिलेंगे. इसके अलावा कई ऐसे युवक हैं जो अब उच्च शिक्षा हासिल करने के बाद कई जगहों पर नौकरी कर रहे हैं. इसके अलावा अब ग्रामीण अपने बच्चों कि शिक्षा पर भी ध्यान दे रहे हैं. गांव में अधिकांश बच्चे अब अच्छी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. 

गौपालन के जरिए गांव में आई समृद्धि

गौपालन के जरिए गांव में समृद्धि भी आई है और ग्रामीणों का विकास भी हुआ है. एक दशक पहले तक गांव में कच्चे मकान थे, लोगों के पास वाहन नहीं थे, लेक‍िन आज 95 फीसदी परिवारों के पास पक्के मकान है. कई लोग ऐसे हैं जिन्हें पीएम आवास योजना के तहत घर दिया गया है, जिसमें अपना पैसा मिलाकर ग्रामीणों ने अच्छे मकान बनवाए हैं. इसके अलावा गांव में 10 फीसदी परिवारों के पास चार पहिया वाहन है और लगभग सभी के पास मोटरसाइकिल है. गांव में यह समृद्धि गाय पालन से ही आई है. गांव में अभी प्रति सप्ताह पांच से सात लाख रुपए किसानों को मिलते हैं.         

 

MORE NEWS

Read more!